Sunday, January 26, 2014

यही ख्वाहिश है जिस्मो-जां से लब तलक

टूटेंगे नहीं उम्मीद के तारे तब तलक
दुनिया में रहेंगे बेसहारे जब तलक

शाम बेचेहरा अक्स है इंतजारों का
रहेगा आईने-मुद्दत ये जाने कब तलक

तू फसाने को कागज पे लिखती तो है
मेरा किरदार नहीं लिखा तूने अब तलक

मेरी देहरी की सीढ़ी तेरे कदम चूमे
यही ख्वाहिश है जिस्मो-जां से लब तलक


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