Saturday, September 27, 2014

ये इश्क आंसुओं की कहानी ही तो है

इन वादियों में बचे हैं तेरे निशां
वही दिले-नादां है और बुत है बेजां

ये इश्क आंसुओं की कहानी ही तो है
बस दर्द ही करता है फसाने का बयां

मेरी यादों में जिंदा हो तुम ऐ सनम
हम लिखेंगे गजल में तेरी ही दास्तां

किस मोड़ पे खड़ी है ये जिंदगी मेरी
तन्हा सा लग रहा है हर राह में लम्हां


मेरी मोहब्बत मेरे दिल की गफलत थी

मेरी मोहब्बत मेरे दिल की गफलत थी,
मैं बेसबब ही उम्र भर तुझे कोसता रहा.

आखिर ये बेवफाई और वफ़ा क्या है,
तेरे जाने के बाद देर तक सोचता रहा.

मैं इसे किस्मत कहूँ या बदकिस्मती अपनी,
तुझे पाने के बाद भी तुझे खोजता रहा.

सुना था वो मेरे दर्द मे ही छुपा है कहीं,
उसे ढूँढने को मैं अपने ज़ख्म नोचता रहा.



Tuesday, September 23, 2014

भूल से भी जिंदगी को नाराज न कीजिए कभी

भूल से भी जिंदगी को नाराज न कीजिए कभी

लीजिए आ गई नशे में घुली रात अभी

नादान हसरतें आपके दिल और हमारे दिल में

फिर दूरियों में न गुजर जाए रात अभी


सूर्ख चादर सा फैला है गुलाबों की जमीं

ख्वाबों की महक से फिजा रोशन है अभी

शब पे छायी है हर तरफ मदहोश हवाएं

नींद से बढ़के हसीन जगने का पहर है अभी


कशमकश होती ही रहती है सदा दिल में आपके

सीधे-सीधे मेरी बातों को मान लीजिए अभी

खर्च कर दें आज हम अपनी सारी ख्वाहिशें

बंदिशों की दीवार गिराने का मौसम है अभी.



दीवानगी में न जाने कल कहां पे रहूँगा

ये दिल किसी मुकाम पर ठहर नहीं सका

मीलों तलक चला मगर मंजिल न पा सका


दीवानगी में न जाने कल कहां पे रहूँगा

आवारगी में अपना घर भी न बना सका


सर पे कफन है और जलता हुआ दिल है

चाहा बहुत पर जिस्म को खुद न जला सका


तड़पती हुई लहरों को शायद नहीं मालूम

साहिल की प्यास को वो कभी न बुझा सका.


रंग आँसू ने भी बदले तन्हाई में

दर्द से आह गई गूँज तन्हाई में

कोई सुनता नहीं आवाज तन्हाई में


डोर तो टूट गयी दो टुकड़े बाकी हैं

कौन जोड़ेगा दोनों को तन्हाई में


आँख तो लाल हुई फिर बेरंग बरसी

रंग आँसू ने भी बदले तन्हाई में


सारी परतें दिल में मेरे सलामत हैं

जख्म दर जख्म संभाले हैं तन्हाई में.

जिस दिल पे इश्क का दाग है

जिस दिल पे इश्क का दाग है
उस चांद पे न नकाब है

घर-घर में वो ही उदास है
जिस हुस्न पर ये शबाब है

ऐ खुदा, मुझे गिन के बता
मेरे जख्म का क्या हिसाब है

जो बेवफाई से ही जला
ये जहान ऐसा चिराग है.




Gam Ki Galiyon Mein Hame Tera Shahar Na Mila

Gam Ki Galiyon Mein Hame Tera Shahar Na Mila
Aur Apni Khushi Ka Hame Wo Ghar Na Mila.

Chand Bujh Na Raha Har Aahat Ke Baad
Suraj Ki Roshni Mein Bhi Dilbar Na Mila.

Meri Khamoshi Mein Chhipi Hai Jo Bezubaan Bankar
Unse Kuch Kehne Ka Kabhi Awsar Na Mila.

Dil Ki Baaten Dil Me Hi Reh Jati Hain
Koyi Bhi Hum Se Aaj Tak Khulkar Na Mila.