Sunday, January 11, 2015
इन जख्मों को भरने में लगेंगे कई मौसम
इन जख्मों को भरने में लगेंगे कई मौसम
अभी तुमको भूलने में लगेंगे कई मौसम
तेरे इश्क में ये बहार एक पल में उजड़ गई
अब फूलों को खिलने में लगेंगे कई मौसम
सदमे मिले हैं जिनको दुनिया में बेवफाओं से
उनके आंसुओं को गिरने में लगेंगे कई मौसम
मुझे अपनी तो परवाह नहीं मगर तेरी बहुत है
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