Thursday, March 17, 2016

सारे जहाँ का दर्द अपना मुक़द्दर निकला

हमे जरूरत नहीं किसी अलफ़ाज़ की
प्यार तो चीज़ है बस एहसास की

पास होते आप तो मंज़र कुछ और ही होता
लेकिन दूर से खबर है हमे आपकी हर धड़कन की.



कितना अजीब अपनी ज़िन्दगी का सफर निकला,
सारे जहाँ का दर्द अपना मुक़द्दर निकला,

जिसके नाम अपनी ज़िन्दगी का हर लम्हा कर दिया,
अफ़सोस वही हमारी चाहत से बेखबर निकला.

1 comment:

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