Friday, October 28, 2016

तुम मेरी जिन्दगी मेरी जीने कि वजह बन जाओ

मेरी एक खवाहिश है जो तुम हों,
मेरी एक चाहत है जो तुम हों,

एक ही मेरी दुआ एक ही मेरी फरियाद
बस एक ही मेरी मोहब्बत है जो तुम हों.

मेरी चाहते बढने लगी है,
मुझे तेरी जरूरत होने लगी है,

बस बाहों में आ जाओ मेरी
मुझे तुम से मोहब्बत होने लगी है.



तुम मेरी खुशी बन जाओ,
तुज मेरी हँसी बन जाओ,

हमारी तो चाहत ही यही है
तुम मेरी जिन्दगी मेरी जीने कि वजह बन जाओ.

तुझे सीने से लगाओं कैसे,
तुझे दिल में बसाओं कैसे,

मेरी हर साँस पर बस तेरा ही नाम है
तुझे ये बताओं तो बताओं कैसे.

1 comment:

  1. क्या खूब कहा है राहत इन्दोरी साहब ने .. "अब तो हर हाथ का पत्थर हमे पहचानता है, उम्र गुजार दी हमने तेरे गली में आते जाते" ...

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