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Saturday, April 15, 2017

तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गयी

तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गयी 
किस्मत भी अपना खेल दिखाती चली गयी 

महकती फ़िज़ा की खुशबू में जो देखा तुम को 
बस याद उनकी आई और रुलाती चली गयी


शिकायत यह नहीं की , वो नाराज़ है हमसे 
मुस्कुराने का हक़ भी छीना , इस बात का ग़म है 

शिकायत यह नहीं की , दिल पे मेरे ज़ख्म दिया 
कराहने का हक़ भी छीना , बस इस बात का ग़म है