Showing posts with label
दर्द ही दर्द आठों पहर आंखों से रिसता है.
Show all posts
Showing posts with label
दर्द ही दर्द आठों पहर आंखों से रिसता है.
Show all posts
जख्मे-दिल सीने में दरिया सा बहता है
मेरे खूने-जिगर में तेरा खंजर रहता है
तूने आशिकी में मेरे दिल के टुकड़े किए
तेरा जाना अब मुझे शीशे की तरह चुभता है
कोई अंजाम बाकी नहीं अब मेरे जीवन में
दर्द ही दर्द आठों पहर आंखों से रिसता है.