Showing posts with label माना की किस्मत पे मेरा ज़ोर नही. Show all posts
Showing posts with label माना की किस्मत पे मेरा ज़ोर नही. Show all posts

Friday, December 2, 2016

मुझे याद रखना तुम कहीं भुला ना देना

उनसे मिलने की जो सोचें अब वो ज़माना नहीं,
घर भी उनके कैसे जायें अब तो कोई बहाना नहीं,

मुझे याद रखना तुम कहीं भुला ना देना
माना कि बरसों से तेरी गली में आना-जाना नहीं.


एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है,
जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है,

मैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी कुछ कम नहीं,
मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है.