Showing posts with label रात होती है तो तुम याद बहुत आती हो. Show all posts
Showing posts with label रात होती है तो तुम याद बहुत आती हो. Show all posts

Saturday, February 27, 2016

ये तजरबा है कि अपनों ने हमें जख्म दिया

हम तो हर मौसम में गुनाह किया करते हैं
जिस्म की कैद से अश्कों को रिहा करते हैं

अपनी आजादी हमें जां से अधिक प्यारी है
इसलिए तो हम भटकते हुए जिया करते हैं


ये तजरबा है कि अपनों ने हमें जख्म दिया
अब तो तन्हाई में ये दर्द सहा करते हैं

रात होती है तो तुम याद बहुत आती हो
तेरे ही गम में हर रात जगा करते हैं