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Sunday, January 26, 2014

हमें मालूम है अंजामे-इश्क बुरा होगा

हमें मालूम है अंजामे-इश्क बुरा होगा
लेकिन इश्क हो गया तो क्यों इंतहा करें

ये दर्द है, इस दर्द पे काबू नहीं होता
अब नब्ज चले किसी तरह, ये दुआ करें

बेखुद सी हुई रातें, ओझल सी हुई दुनिया
अपने ही वजूद में हम खुद को फना करें

इजहार न कर सके जब अपनी जुबां से
उस हुस्न के सितम हम कैसे बयां करें


जबसे खबर हुई कि मेरा दिल आशना है

जबसे खबर हुई कि मेरा दिल आशना है
तबसे हम बेचैन हुए तेरे हर पल की खबर के लिए

कई दिन हो गए तुमसे मुहब्बत किए हुए
पर तरसते रहे अब तक तेरी इक नजर के लिए

तेरे साये से दूर हूं कि तेरी रुसवाई न हो
यही करता है हर आशिक अपने दिलबर के लिए

अश्क तो बह रहे हैं तन्हाई में जीते हुए
कोई मरहम तो अब बता दे तू खूने-जिगर के लिए