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Wednesday, June 12, 2019

तुम आजकल बिन बोले मुझसे इस तरह बात करती हो

जिस तरह बे मौसम बारिश सूखे पत्तों पे आवाज़ करती है, 
तुम आजकल बिन बोले मुझसे इस तरह बात करती हो,

ना पता है तुमको मेरी परेशानी का ना ही मेरे दिल की हालत का,
मैं ऐसा क्यों हो रहा हूँ यह सवाल भी नहीं करती हो,

तुम्हें फ़िक्र रह गयी है अपनी और शायद सिर्फ़ अपनी,
क्यों नहीं इस रिश्ते से निकल कर पहली सी मुलाक़ात करती हो,


बहुत दिन हो गये मुझको दोपहर की नींद से जगाए,
क्यों नहीं मेरे कानो में आकर कोई शरारत वाली बात करती हो,

एक वक़्त था जब हम तुम थे सुख दुख के साथी,
क्यों नहीं तुम मुझको समझा कर एक नयी शुरुआत करती हो,

सूखे पत्तों की खरखराहट सी तुम मुझसे बात करती हो,
मैं बहुत उदास हो जाता हूँ जब तुम मुझसे इस तरह बात करती हो.

तेरा मुड़-मुड़ कर आना और जाना याद आया है

तेरी चाहत का वो मौसम सुहाना याद आया है, 
तेरा मुस्कुरा करके वो नजरें झुकाना याद आया है, 

जो सावन की काली घटा सी छाई रहती थी, 
उन जूलफों का चेहरे से हटना याद आया है, 

तुझे छेड़ने की खातिर जो अक्सर गुनगुनाता था, 
वो नगमा आशिकाना आज फिर याद आया है, 

मेरी साँसें उलझती थी तेरे कदमों की तेजी में, 
तेरा मुड़-मुड़ कर आना और जाना याद आया है,
 

तेरा लड़ना झगड़ना और मुझसे रूठ कर जाना, 
वो तेरा रूठ कर खुद मान जाना याद आया है, 

ना रस्ते हैं ना मंजिल है मिजाज भी है आवारा,
तेरे दिल में मेरे दिल का ठिकाना याद आया है, 

जिसके हर लफज में लिपटी हुई थी मेरी कई रातें, 
आज तेरा वो आखिरी खत हथेली पर जलाया है।

Thursday, April 4, 2019

मैं ही वो शबनम थी जिसने चमन को सींचा

रंग बिखरे थे कितने मोहब्बत के थे वो, 
इक वो ही था जो कितना बेरंग निकला। 

मैं ही वो शबनम थी जिसने चमन को सींचा, 
मुझे ही छोड़ कर वो बारिश में भीगने निकला। 

मेरा वजूद है तो रोशन है तेरे घर के दिये, 
मैंने देखा था तू कितना बेरहम निकला। 


न जाने कहाँ हर्फे वफ़ा गम होके रह गई, 
सरे राह मेरी मोहब्बत का जनाज़ा निकला। 

दिल है खामोश उदासी फिजा में छाई है, 
मुद्दतें बीती बहारों का काफिला निकला। 

टूटे हुए ख्वाब और सिसकती सदाओं ने कहा, 
करने बर्बाद मुझे मेरे घर का रहनुमा निकला।

Thursday, March 28, 2019

उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर

निगाहों से कत्ल कर दे न हो तकलीफ दोनों को,
तुझे खंजर उठाने की मुझे गर्दन झुकाने की।

एक सी शोखी खुदा ने दी है हुस्नो-इश्क को,
फर्क बस इतना है वो आंखों में है ये दिल में है।

उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर,
दो पियालों में भरी है कैसे लाखों मन शराब।



आँसुओं से जिनकी आँखे नम नही,
क्या समझते हो कि उन्हें कोई गम नही।

आँखे ही बना देती हैं फ़साना किसी का,
आँखे ही बना देती हैं दीवाना किसी का,

आँखे ही हँसाती हैं, आँखे ही रूलाती हैं,
आँखे ही बसा देती हैं घराना किसी का।

Wednesday, March 6, 2019

ज़िन्दगी में इतने ग़म थे जिनका अंदाज़ा न था

कौन सा वो ज़ख्मे-दिल था जो तर-ओ-ताज़ा न था, 
ज़िन्दगी में इतने ग़म थे जिनका अंदाज़ा न था, 

'अर्श' उनकी झील सी आँखों का उसमें क्या क़ुसूर, 
डूबने वालों को ही गहराई का अंदाज़ा न था।


उसे पाया नहीं लेकिन उसको खोना भी नहीं है,
उसके बगैर आंसू लेकर रोना भी नहीं है,

प्यार का रुख नफ़रत में कुछ इस कदर बदला,
अब सोचते है कि उसका कभी होना भी नहीं है।

Thursday, February 21, 2019

जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता

बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता,

वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं,
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता।


तेरी याद आई तो थोड़ा उदास हो जाऊंगा,
ज़िन्दगी से फिर एक बार निराश हो जाऊंगा,

कभी सोचा भी ना था ऐसा भी होगा,
तेरी ख़ुशी के लिए मै खुद को रूलाऊंगा।

Tuesday, January 10, 2017

तुम्हारी याद में जब मेरा दिल रोता है

तुम्हारी याद आने पर आँसू टूट जाते है
उन्हें मैं हथेलियों पर समेट लेता हूँ
और जो अटक जाते हैं होंटों पर

तो मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो.
सुबह-सुबह ठंडी हवा का झोंका 
मुझे चुपके से आकर छूता है


और उसमें जो सबसे तेज़ झोंका हो 
तो मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो.
बिछड़ने के बाद से ही तुम्हारी याद आती है 

तुम्हारी याद में जब मेरा दिल रोता है
रोते-रोते जो ज़ोर की हिचकी आती है
तो मैं समझ लेता हूँ कि वो तुम हो.