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Friday, June 11, 2021

जलने दो ज़माने को चलो एक साथ चलते हैं

जलने दो ज़माने को चलो एक साथ चलते हैं,

नयी दुनिया बसाने को चलो एक साथ चलते हैं,

हमें जीवन का हर लम्हा तुम्हारे नाम करना है,

यही वादा निभाने को चलो एक साथ चलते हैं।


इस दिल को अगर तेरा एहसास नहीं होता,

तू दूर भी रह कर के यूँ पास नहीं होता,

इस दिल ने तेरी चाहत कुछ ऐसे बसाली है,

एक लम्हा भी तुझ बिन कुछ खास नहीं होता।


हर लम्हा अपनी पलकों पर बिठाया तुझे,

फिर भी ये इश्क़ मेरा न रास आया तुझे,

किस्मत की भी है यह अजीब दास्ताँ,

कभी हसाया तो कभी रुलाया मुझे।


लाख बंदिशें लगा ले दुनिया हम पर,

मगर दिल पर काबू नहीं कर पाएंगे,

वो लम्हा आखिरी होगा ज़िन्दगी का हमारा,

जिस दिन हम यार तुझे भूल जायेंगे।

Monday, September 23, 2019

ज़िन्दगी बदलती है वख्त के साथ

तरसती नज़रो ने हर पल आपको ऐसे मागा।
जैसे हर अमावस में चांद मागा।
रूठ गया वो खुदा भी हमसे ।
जब हमने अपनी हर दुआ में आपको मागा।

जो प्यार का रिश्ता हम बनाते है।
उसे लोगो से क्यों छुपाते है।
क्या गुनाह है किसी को प्यार करना।
तो बचपन से हमे प्यार करना क्यों सिखाते है।


यादों की हवा ज़ख्मों की दवा बन गई।
दूरी उनकी मेरी चाहत की सज़ा बन गई।
कैसे भूलूं में उन्हें एक पल के लिए ।
उनकी याद ही मेरी जीने की वजह बन गई।

वख्त बदलता है जिंदगी के साथ।
ज़िन्दगी बदलती है वख्त के साथ।
वख्त नही बदलता अपनो के साथ।
बस अपने ही बदल जाते है वख्त के साथ। 

Wednesday, June 12, 2019

अगर तुम जोड़ सको तो यह गुलदान ले जाना

मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना, 
तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना। 

तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई, 
तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना। 

शिकस्ता के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर चुन लो, 
अगर तुम जोड़ सको तो यह गुलदान ले जाना। 


तुम्हें ऐसे तो खाली हाथ रुखसत कर नहीं सकते, 
पुरानी दोस्ती है, कि कुछ पहचान ले जाना। 

इरादा कर लिया है तुमने गर सचमुच बिछड़ने का, 
तो फिर अपने यह सारे वादा-ओ-पैमान ले जाना। 

अगर थोड़ी बहुत है, शायरी से उनको दिलचस्पी, 
तो उनके सामने मेरा यह दीवान ले जाना।

Thursday, April 4, 2019

ये आँसू हैं इन्हें फूलों में शबनम की तरह रखना

उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम नहीं होता, 
हजारों जुगनुओं से भी अँधेरा कम नहीं होता। 

बिछड़ते वक़्त कोई बदगुमानी दिल में आ जाती, 
उसे भी ग़म नहीं होता मुझे भी ग़म नहीं होता। 



ये आँसू हैं इन्हें फूलों में शबनम की तरह रखना, 
ग़ज़ल एहसास है एहसास का मातम नहीं होता। 

बहुत से लोग दिल को इस तरह महफूज़ रखते हैं, 
कोई बारिश हो ये कागज़ जरा भी नम नहीं होता। 

कभी बरसात में शादाब बेलें सूख जाती है, 
हरे पेड़ों के गिरने का कोई मौसम नहीं होता।

Monday, September 17, 2018

हम चाँद हैं तो तुम उसकी रोशनी हो

हम चाँद हैं तो तुम उसकी रोशनी हो,
हम फूल है तो तुम उसकी खुश्बू हो,

छोड़ेंगे ना कभी साथ तेरा क्योकि,
हम दोस्त है तो तुम दोस्ती की महक हो.


मेरे आंखों के ख्वाब दिल के अरमान हो तुम,

तुम से ही तो मैं हूं मेरी पहचान हो तुम,

मैं जमीन हूं अगर तो मेरे आसमान हो तुम
सच मानो मेरे लिए तो सारा जहां हो तुम.

Friday, April 6, 2018

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा

किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से
हर जगह ढूँधता फिरता है मुझे घर मेरा


एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा

मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा

आईना देखके निकला था मैं घर से बाहर
आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा

Tuesday, December 12, 2017

संगमरमर के महल में तेरी तस्वीर सजाऊंगा

संगमरमर के महल में तेरी तस्वीर सजाऊंगा, 
अपने इस दिल में तेरे ही ख्वाब जगाऊंगा, 

यूँ एक बार आजमा के देख तेरे दिल में बस जाऊंगा, 
मैं तो प्यार का हूँ प्यासा तेरे आगोश में मर जाऊॅंगा.


कब तक वो मेरा होने से इंकार करेगा, 

खुद टूट कर वो एक दिन मुझसे प्यार करेगा,

इश्क़ की आग में उसको इतना जला देंगे, 
कि इज़हार वो मुझसे सर-ए-बाजार करेगा.

Saturday, November 25, 2017

शाम है बुझी बुझी वक्त है खफा खफा

शाम है बुझी बुझी वक्त है खफा खफा, 
कुछ हंसीं यादें हैं कुछ भरी सी आँखें हैं, 


कह रही है मेरी ये तरसती नजर, 
अब तो आ जाइये अब न तड़पाइये। 



हम ठहर भी जायेंगे राह-ए-जिंदगी में 
तुम जो पास आने का इशारा करो, 


मुँह को फेरे हुए मेरे तकदीर सी, 
यूँ न चले जाइये अब तो आ जाइये।

Friday, November 18, 2016

सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो

आँखों में आंसुओं की लकीर बन गयी, 
जैसी चाहिए थी वैसी तकदीर बन गयी, 

हमने तो सिर्फ रेत में उंगलियाँ घुमाई थी, 
गौर से देखा तो आपकी तस्वीर बन गयी.


सफर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो, 
नजर वहीं तक है जहाँ तक तुम हो, 

हजारों फूल देखे हैं इस गुलशन में मगर, 
खुशबू वहीं तक है जहाँ तक तुम हो.

Tuesday, October 25, 2016

तेरी रूह से रूह तक का रिश्ता है मेरा

पलकों में आँसु और दिल में दर्द सोया है,

हँसने वालो को क्या पता, रोने वाला किस कदर रोया है.


ये तो बस वही जान सकता है मेरी तनहाई का आलम,


जिसने जिन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है.




तेरी धड़कन ही ज़िंदगी का किस्सा है मेरा,

तू ज़िंदगी का एक अहम् हिस्सा है मेरा.


मेरी मोहब्बत तुझसे, सिर्फ़ लफ्जों की नहीं है,


तेरी रूह से रूह तक का रिश्ता है मेरा.

Tuesday, February 2, 2016

दुनिया में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे

दुनिया में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे
सदियों तलक जमीं पे तेरी कयामत रहे

और भी दुनिया में आएंगे आशिक कितने

उनकी आंखों में तुमको देखने की चाहत रहे

इश्क के तमाशे में हमेशा तेरे किरदार से

दर्द और खामोशी के अश्कों की शिकायत रहे

खुमारियों के चंद लम्हों का है तेरा सुरूर

उसमें डूबकर मरने से दिल को राहत रहे

Tuesday, September 23, 2014

भूल से भी जिंदगी को नाराज न कीजिए कभी

भूल से भी जिंदगी को नाराज न कीजिए कभी

लीजिए आ गई नशे में घुली रात अभी

नादान हसरतें आपके दिल और हमारे दिल में

फिर दूरियों में न गुजर जाए रात अभी


सूर्ख चादर सा फैला है गुलाबों की जमीं

ख्वाबों की महक से फिजा रोशन है अभी

शब पे छायी है हर तरफ मदहोश हवाएं

नींद से बढ़के हसीन जगने का पहर है अभी


कशमकश होती ही रहती है सदा दिल में आपके

सीधे-सीधे मेरी बातों को मान लीजिए अभी

खर्च कर दें आज हम अपनी सारी ख्वाहिशें

बंदिशों की दीवार गिराने का मौसम है अभी.



दीवानगी में न जाने कल कहां पे रहूँगा

ये दिल किसी मुकाम पर ठहर नहीं सका

मीलों तलक चला मगर मंजिल न पा सका


दीवानगी में न जाने कल कहां पे रहूँगा

आवारगी में अपना घर भी न बना सका


सर पे कफन है और जलता हुआ दिल है

चाहा बहुत पर जिस्म को खुद न जला सका


तड़पती हुई लहरों को शायद नहीं मालूम

साहिल की प्यास को वो कभी न बुझा सका.


Saturday, May 24, 2014

मैं किसी की ख्वाहिशों का गुलाम नहीं

मैं किसी की ख्वाहिशों का गुलाम नहीं

मेरी आजादी का लेना कभी इम्तहान नहीं


दिल भले ही मुहब्बत के लिए रोता है

मगर हमने लिया कभी तेरा अहसान नहीं


आग की लहरों में देखा कीए अपना चेहरा

आईऩों का किया घर में कभी इंतजाम नहीं


क्यूं नहीं आई खुशी तेरी शायरी में ‘राज’

तुम लोगों की तरह हंसे कभी सरेआम नहीं