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Thursday, April 4, 2019

ये आँसू हैं इन्हें फूलों में शबनम की तरह रखना

उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम नहीं होता, 
हजारों जुगनुओं से भी अँधेरा कम नहीं होता। 

बिछड़ते वक़्त कोई बदगुमानी दिल में आ जाती, 
उसे भी ग़म नहीं होता मुझे भी ग़म नहीं होता। 



ये आँसू हैं इन्हें फूलों में शबनम की तरह रखना, 
ग़ज़ल एहसास है एहसास का मातम नहीं होता। 

बहुत से लोग दिल को इस तरह महफूज़ रखते हैं, 
कोई बारिश हो ये कागज़ जरा भी नम नहीं होता। 

कभी बरसात में शादाब बेलें सूख जाती है, 
हरे पेड़ों के गिरने का कोई मौसम नहीं होता।

Tuesday, October 25, 2016

उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से

वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है;
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है;

उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से;
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिये बनाया है.


हम उस से थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं;
न जाने उस से मिलने का इरादा कैसा लगता है;

मैं धीरे धीरे उन का दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ;
वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है.

Saturday, September 27, 2014

ये इश्क आंसुओं की कहानी ही तो है

इन वादियों में बचे हैं तेरे निशां
वही दिले-नादां है और बुत है बेजां

ये इश्क आंसुओं की कहानी ही तो है
बस दर्द ही करता है फसाने का बयां

मेरी यादों में जिंदा हो तुम ऐ सनम
हम लिखेंगे गजल में तेरी ही दास्तां

किस मोड़ पे खड़ी है ये जिंदगी मेरी
तन्हा सा लग रहा है हर राह में लम्हां


Saturday, May 24, 2014

मैं किसी की ख्वाहिशों का गुलाम नहीं

मैं किसी की ख्वाहिशों का गुलाम नहीं

मेरी आजादी का लेना कभी इम्तहान नहीं


दिल भले ही मुहब्बत के लिए रोता है

मगर हमने लिया कभी तेरा अहसान नहीं


आग की लहरों में देखा कीए अपना चेहरा

आईऩों का किया घर में कभी इंतजाम नहीं


क्यूं नहीं आई खुशी तेरी शायरी में ‘राज’

तुम लोगों की तरह हंसे कभी सरेआम नहीं