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Tuesday, October 25, 2016

हम सिमटते गए उनमें और वो हमें भुलाते गए

दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे,
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे,

वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे.



इश्क़ सभी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पर मरना सीखा देता है,

इश्क़ नहीं किया तो करके देखो,
ज़ालिम हर दर्द सहना सीखा देता है.

Sunday, August 23, 2015

मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो

आप खुद नहीं जानती आप कितनी प्यारी हो,

जान हो हमारी पर जान से प्यारी हो.

दूरियों क होने से कोई फर्क नही पड़ता,

आप कल भी हमारी थी और आज बी हमारी हो.



मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो,

मेरे खयालो मे तुम हो, या मेरा खयाल ही तुम हो.

दिल मेरा धडक के पूछे, बार बार एक ही बात,

मेरी जान मे तुम हो, या मेरी जान ही तुम हो.

रातो के ख्वाबो का इंतजार क्या करू

जिन्हीने बदली थी हमारे ख्वाइशों की जिंदगी..
आज वहो बदले बदले नज़र आते है..

उड़ गए उन परिंदों का मलाल क्या करे..
जब अपने भी औरो की छत पर नज़र आते है..

रातो के ख्वाबो का इंतजार क्या करू..
जब दिन मै भी डरावने सपने आत्ते है..

एक अरसा बीत गया..खुलकर मुस्कुराए हुए..
एक अरसा बीत गया..गीत कोई गाए हुए..

मेरी नज़रों को तेरा इन्तज़ार आज भी है..
एक अरसा बीत गया..कोई रिश्ता नया बनाए हुए..

Saturday, April 18, 2015

मेरा दिल धडकता है सिर्फ तुम्हारे लिए

तेरी हर अदा मोहब्बत सी लगती है,
एक पल की जुदाई मुद्दत सी लगती है,
पहले नही सोचा था अब सोचने लगे है हम,
जिंदगी के हर लम्हों में तेरी ज़रूरत सी लगती है

ढलती शाम का खुला एहसास है ,
मेरे दिल में तेरी जगह कुछ खास है ,
तू नहीं है यहाँ मालूम है मुझे ...
पर दिल ये कहता है तू यहीं मेरे पास है

मुस्कान तेरे होठों से कही जाए न,
आंसू तेरी पलकों पे कही आए न,
पूरा हो तेरा हर खवाब,
और जो पूरा न हो वो खवाब कभी आए न !!

मेरा दिल धडकता है सिर्फ तुम्हारे लिए,
मेरा दिल तडफता है सिर्फ तुम्हारे लिए,
ना जाने मै क्यो डरता हूँ आपसे,
अपने प्यार का इज़हार करने के लिए !!

Sunday, January 11, 2015

तुम तरसती निगाहों को नुमाया न करो

तुम तरसती निगाहों को नुमाया न करो
मैं प्यासा हूं, मेरी प्यास बढ़ाया न करो
नींद न आए कभी तो बस ये दुआ करना
‘ऐ खुदा जलनेवालों को बुझाया न करो’
हंस नहीं पाएंगे जब तक वो नहीं आएंगे
साकिया मय पिलाके बहलाया न करो
दोस्तों का हमें बहुत सा तजरबा है
शेख जी, बेवफाओं से मिलाया न करो.



Saturday, May 24, 2014

उल्फत में जान निकल जाए

गिरके ना ये फिर संभल जाए, उल्फत में जान निकल जाए

रूह का दीपक तो जला, ये जिस्म चाहे पिघल जाए


मर्जी हो तेरी तो आ जाओ, मेरा आशियां ये बदल जाए

कश्ती समंदर में कैसे रूके, किनारे से जो फिसल जाए.


किसके सहारे जीना है, तन्हाई ही तमन्ना है

हम इस पार, तुम उस पार, बीच में नदी को बहना है


लम्हा दिन महीना बरस, दुख के किनारे मरना है

आधे-अधूरे जीवन पूरे, तेरे बिन अब रहना है.