Pages
▼
आखिर क्यों मुझे तुम इतना दर्द देते हो
जब भी मन में आये क्यों रुला देते हो,
निगाहें बेरुखी हैं और तीखे हैं लफ्ज़,
ये कैसी मोहब्बत हैं जो तुम मुझसे करते हो.
मेरे बहते आंसुओ की कोई कदर नहीं,
क्यों इस तरह नजरो से गिरा देते हो,
क्या यही मौसम पसंद है तुम्हे जो,
सर्द रातो में आंसुओ की बारिश करवा देते हो
दिल मे ना हो ज़रूरत तो मोहब्बत नही मिलती,
खैरात मे इतनी बड़ी दौलत नही मिलती,
कुछ लोग यूँ ही शहर मे हम से भी खफा हैं,
हर एक से अपनी भी तबीयत नही मिलती.
देखा था जिसे मैने कोई और था शायद,
वो कौन है जिस से तेरी सूरत नही मिलती,
हंसते हुए चेहरो से है बाज़ार की ज़न्नत,
रोने को यहा वैसे भी फ़ुर्सत नही मिलती.