Sunday, January 11, 2015

जख्मे-दिल सीने में दरिया सा बहता है

जख्मे-दिल सीने में दरिया सा बहता है
मेरे खूने-जिगर में तेरा खंजर रहता है 

तूने आशिकी में मेरे दिल के टुकड़े किए
तेरा जाना अब मुझे शीशे की तरह चुभता है

कोई अंजाम बाकी नहीं अब मेरे जीवन में
दर्द ही दर्द आठों पहर आंखों से रिसता है.


इन जख्मों को भरने में लगेंगे कई मौसम

इन जख्मों को भरने में लगेंगे कई मौसम
अभी तुमको भूलने में लगेंगे कई मौसम

तेरे इश्क में ये बहार एक पल में उजड़ गई
अब फूलों को खिलने में लगेंगे कई मौसम

सदमे मिले हैं जिनको दुनिया में बेवफाओं से
उनके आंसुओं को गिरने में लगेंगे कई मौसम

मुझे अपनी तो परवाह नहीं मगर तेरी बहुत है
इस फितरत को मिटने में लगेंगे कई मौसम.



वो कैसा दर्द भरा था उसकी आंखों में

किया है इश्क मगर मैं बिछड़ गया तन्हा
उसे मैं देखकर हर बार गुजर गया तन्हा

याद आता है मुझे उसके जूड़े का बंधन
जो मेरे सीने को बांधे चला गया तन्हा

वो कैसा दर्द भरा था उसकी आंखों में
जो मेरी आंखों में आके बह गया तन्हा

कहीं पे खोयी सी रहती थी वो उदासी में
रू ब रू उसके मैं आईना बन गया तन्हा.


मुझमें आता है मेरा यार आंसू बनकर

मुझमें आता है मेरा यार आंसू बनकर
फिर से वो बिछड़ता है आंसू बनकर
उनकी यादों को भूल जाना मुमकिन तो नहीं
मेरी हर कोशिश बह जाती है आंसू बनकर
प्यार तो प्यार है, बस महसूस किया जाता है
हर अहसास गजल लिखता है आंसू बनकर
आंसुओं से ये मुहब्बत नजर आती है
मेरी नजरों में तू सलामत है आंसू बनकर.


तुम तरसती निगाहों को नुमाया न करो

तुम तरसती निगाहों को नुमाया न करो
मैं प्यासा हूं, मेरी प्यास बढ़ाया न करो
नींद न आए कभी तो बस ये दुआ करना
‘ऐ खुदा जलनेवालों को बुझाया न करो’
हंस नहीं पाएंगे जब तक वो नहीं आएंगे
साकिया मय पिलाके बहलाया न करो
दोस्तों का हमें बहुत सा तजरबा है
शेख जी, बेवफाओं से मिलाया न करो.



Saturday, September 27, 2014

ये इश्क आंसुओं की कहानी ही तो है

इन वादियों में बचे हैं तेरे निशां
वही दिले-नादां है और बुत है बेजां

ये इश्क आंसुओं की कहानी ही तो है
बस दर्द ही करता है फसाने का बयां

मेरी यादों में जिंदा हो तुम ऐ सनम
हम लिखेंगे गजल में तेरी ही दास्तां

किस मोड़ पे खड़ी है ये जिंदगी मेरी
तन्हा सा लग रहा है हर राह में लम्हां


मेरी मोहब्बत मेरे दिल की गफलत थी

मेरी मोहब्बत मेरे दिल की गफलत थी,
मैं बेसबब ही उम्र भर तुझे कोसता रहा.

आखिर ये बेवफाई और वफ़ा क्या है,
तेरे जाने के बाद देर तक सोचता रहा.

मैं इसे किस्मत कहूँ या बदकिस्मती अपनी,
तुझे पाने के बाद भी तुझे खोजता रहा.

सुना था वो मेरे दर्द मे ही छुपा है कहीं,
उसे ढूँढने को मैं अपने ज़ख्म नोचता रहा.



Tuesday, September 23, 2014

भूल से भी जिंदगी को नाराज न कीजिए कभी

भूल से भी जिंदगी को नाराज न कीजिए कभी

लीजिए आ गई नशे में घुली रात अभी

नादान हसरतें आपके दिल और हमारे दिल में

फिर दूरियों में न गुजर जाए रात अभी


सूर्ख चादर सा फैला है गुलाबों की जमीं

ख्वाबों की महक से फिजा रोशन है अभी

शब पे छायी है हर तरफ मदहोश हवाएं

नींद से बढ़के हसीन जगने का पहर है अभी


कशमकश होती ही रहती है सदा दिल में आपके

सीधे-सीधे मेरी बातों को मान लीजिए अभी

खर्च कर दें आज हम अपनी सारी ख्वाहिशें

बंदिशों की दीवार गिराने का मौसम है अभी.



दीवानगी में न जाने कल कहां पे रहूँगा

ये दिल किसी मुकाम पर ठहर नहीं सका

मीलों तलक चला मगर मंजिल न पा सका


दीवानगी में न जाने कल कहां पे रहूँगा

आवारगी में अपना घर भी न बना सका


सर पे कफन है और जलता हुआ दिल है

चाहा बहुत पर जिस्म को खुद न जला सका


तड़पती हुई लहरों को शायद नहीं मालूम

साहिल की प्यास को वो कभी न बुझा सका.


रंग आँसू ने भी बदले तन्हाई में

दर्द से आह गई गूँज तन्हाई में

कोई सुनता नहीं आवाज तन्हाई में


डोर तो टूट गयी दो टुकड़े बाकी हैं

कौन जोड़ेगा दोनों को तन्हाई में


आँख तो लाल हुई फिर बेरंग बरसी

रंग आँसू ने भी बदले तन्हाई में


सारी परतें दिल में मेरे सलामत हैं

जख्म दर जख्म संभाले हैं तन्हाई में.

जिस दिल पे इश्क का दाग है

जिस दिल पे इश्क का दाग है
उस चांद पे न नकाब है

घर-घर में वो ही उदास है
जिस हुस्न पर ये शबाब है

ऐ खुदा, मुझे गिन के बता
मेरे जख्म का क्या हिसाब है

जो बेवफाई से ही जला
ये जहान ऐसा चिराग है.




Gam Ki Galiyon Mein Hame Tera Shahar Na Mila

Gam Ki Galiyon Mein Hame Tera Shahar Na Mila
Aur Apni Khushi Ka Hame Wo Ghar Na Mila.

Chand Bujh Na Raha Har Aahat Ke Baad
Suraj Ki Roshni Mein Bhi Dilbar Na Mila.

Meri Khamoshi Mein Chhipi Hai Jo Bezubaan Bankar
Unse Kuch Kehne Ka Kabhi Awsar Na Mila.

Dil Ki Baaten Dil Me Hi Reh Jati Hain
Koyi Bhi Hum Se Aaj Tak Khulkar Na Mila.



Saturday, May 24, 2014

तुम जो मिल जाओ तो सब कुछ मिल जाए

चांद से आज भी मेरी बहुत दूरी है

यह जमीं पे रहने की मजबूरी है


दिल लगाने से ये दिल जल जाए सही

इस लगन के बिना जिंदगी अधूरी है


तुम जो मिल जाओ तो सब कुछ मिल जाए

ना मिलो तो तबियत में फकीरी है


नींद खुल जाए अपनी ही मौत से पहले

इसलिए ख्वाबों का टूट जाना जरूरी है



मैं किसी की ख्वाहिशों का गुलाम नहीं

मैं किसी की ख्वाहिशों का गुलाम नहीं

मेरी आजादी का लेना कभी इम्तहान नहीं


दिल भले ही मुहब्बत के लिए रोता है

मगर हमने लिया कभी तेरा अहसान नहीं


आग की लहरों में देखा कीए अपना चेहरा

आईऩों का किया घर में कभी इंतजाम नहीं


क्यूं नहीं आई खुशी तेरी शायरी में ‘राज’

तुम लोगों की तरह हंसे कभी सरेआम नहीं


उल्फत में जान निकल जाए

गिरके ना ये फिर संभल जाए, उल्फत में जान निकल जाए

रूह का दीपक तो जला, ये जिस्म चाहे पिघल जाए


मर्जी हो तेरी तो आ जाओ, मेरा आशियां ये बदल जाए

कश्ती समंदर में कैसे रूके, किनारे से जो फिसल जाए.


किसके सहारे जीना है, तन्हाई ही तमन्ना है

हम इस पार, तुम उस पार, बीच में नदी को बहना है


लम्हा दिन महीना बरस, दुख के किनारे मरना है

आधे-अधूरे जीवन पूरे, तेरे बिन अब रहना है.


अपने खयालों में देखा जिनको

दोनों चिरागों में दो समंदर

देखा है उनकी आंखों के अंदर


अपने खयालों में देखा जिनको

आज नजर में आए वो दिलबर


जुल्फें या आंखें, चेहरा या चितवन

हरसूं हैं उनमें जलवों के खंजर


नाजुक बदन जब निकले फिजा में

खुशबू से भर जाए सारा मंजर



मैं भी मैं कहां रहा, तू भी तू नहीं रही

कुछ कहने और सुनने की आरजू नहीं रही
मैं भी मैं कहां रहा, तू भी तू नहीं रही


तब हर बात पे होती थी अक्सर ही तकरार
अब किसी बात पे प्यार की गुफ्तगू नहीं रही


फुरसत ही नहीं मिलती कि तेरी याद में रोऊं मैं
तुमको भी मेरे आंसुओं की जूस्तजू नहीं रही


तू चाहती कुछ और, मैं सोचता हूं कुछ और
किसी आईने में हमारी सूरत हूबहू नहीं रही

प्यार के अहसास पर मर मिटा है दिल

सफर वहीं तक है जहां तक तुम हो

नजर वहीं तक है जहां तक तुम हो


हजारों फूल देखे इस गुलशन में मगर

खुशबू वहीं तक है जहां तक तुम हो


चांद और सूरज भी आके यही कहते हैं

रोशनी वहीं तक है जहां तक तुम हो


प्यार के अहसास पर मर मिटा है दिल

जिंदगी वहीं तक है जहां तक तुम हो


तूम मेरे दिल में आ चुके हम तेरे दिल से जा चुके

हम कितनी दूर आ चुके, तुम कितनी दूर जा चुके

तुम मेरे दिल में आ चुके, हम तेरे दिल से जा चुके 


अब गैर कोई छू ले मुझे तो मुझे भी ऐतराज नहीं

तेरे इश्क में हम जिस्म की हर गैरत को गंवा चुके


इस चांद को तुमसा कहूं तो बुरा लगेगा खुद मुझको

जबसे हमें तुम छोड़ गए, ये चिराग हम बुझा चुके


उसे कौन सा सफर कहूं जिसे हो नसीब न हमसफर

इस जिंदगी की राह को हम दर्द में डुबा चुके


Tuesday, April 15, 2014

वो इश्क क्या करे जो रस्मों को निभाते हैं

दुनिया के पत्थरों का ऐतबार न करो
आईने के टूटने का इंतजार न करो 
वो इश्क क्या करे जो रस्मों को निभाते हैं
उस बेवफा का तूम भी दरकार न करो
ये चाँद आसमान की सिर्फ मिट्टी नहीं है
बेदर्द निगाहों से उसका दीदार न करो 
ऐ मेरे गमे-दिल तू जीने का हौसला रख
यूँ मौत की तमन्ना तूम सौ बार न करो

तुमसे वफा की आस भी रखूं भी मैं किस राह पर

तेरी दिल्लगी भी इश्क में मेरे दिल का गुल खिलाएगी

तेरी बेवफाई भी मुझसे एक हसीन गजल लिखवाएगी

तुमसे वफा की आस भी रखूं भी मैं किस राह पर

मालूम है तू एक दिन बड़ी दूर निकल जाएगी

सज़दे की वो जमीं है, जहां बैठकर मैं रोता हूं

तेरे दर्द के इन अश्कों में मेरी मिट्टी भी गल जाएगी

बरसों बरस भी धूप है, सूरज ही जिसका रूप है

इस जिंदगी की आग से तू चांद में बदल जाएगी


मुझे दिल से जो भुला दिया, तो तूने क्या बुरा किया

मुझे दिल से जो भुला दिया, तो तूने क्या बुरा किया

कांटे का दामन छोड़ कर, जो भी किया अच्छा किया 

आवारगी की राह पे चलके मुझे मंजिल मिली

जिसने मुझे बेघर किया उसने भी कुछ भला किया

जिनके घरों में आंसू थे वहीं पे मुझे पानी मिला

इस शहर में मेरी प्यास ने कुछ ऐसा तज़रबा किया

ऐ दिल बता तुझे क्या मिला मेरा दाग से खेलकर

तूने दर्द से सौदा किया, अपनी गजल बेचा किया


सूनी सेज पे रोती रह गई लेकिन तुमको खबर नहीं

सूनी सेज पे रोती रह गई लेकिन तुमको खबर नहीं
घिर आए सावन के बादल लेकिन तुमको खबर नहीं
फूल की सारी बगिया उजड़ी, माला टूटी, गजरे टूटे
कांटों की एक दुनिया बस गई लेकिन तुमको खबर नहीं 
आने की कोई सूरत नहीं है, कितना मैं इंतजार करूं
आस का आईना टूट गया, लेकिन तुमको खबर नहीं 
जीवन में अब सांझ-सवेरे, ना सूरज, ना चांद रहा
सारे दीपक बुझ से गए हैं लेकिन तुमको खबर नहीं

आई थी शाम बेकरार, आकर चली गई

आई थी शाम बेकरार, आकर चली गई
होना था बस इंतजार, होकर चली गई 
साहिल से दूर एक लहर आती मुझे दिखी
आंखों से वो सागर पार, बहकर चली गई 
आस्मा के सारे तारे टूटकर गिरते रहे
चांद जिनसे करके प्यार, बुझकर चली गई 
दिल में दो रूहों का दर्द लेकर जी रहा
मुझपे अपना जां निसार दिलबर चली गई


Sunday, March 16, 2014

Husn Jawan Love Shayari in Hindi

जब अचानक सामने तुम कहीं से आ गए
हम जरा घबड़ा गए, तुम जरा शरमा गए 
सोलह बरस के बाद तुम जवाँ हुए तो ये हुआ
देखकर तुझे होशवाले राहों में गश खा गए
तेरी नजर को पढ़ लेना सबके बस की बात नहीं
अपनी हर जज्बाते-बयां तुम काजल में छुपा गए
शायरी में लिखता हूँ मैं अपने दिल की हर बातें
दिलवालों को लफ्जों में तेरी झलक दिखा गए

Monday, March 3, 2014

Sad Love Shayari For Intimate Lovers

जान कितनी है बची, साँस कितनी है बची

दिल बता दे कि मेरी प्यास कितनी है बची

क्या जरूरत है तुझे गर्दिशों के जुग़नू की

हुस्न की ये रोशनी तेरे पास कितनी है बची

जब भी तुम याद करोगे मैं चला आऊँगा

मेरे अंदर तेरी ये तलाश कितनी है बची

कभी शायद मेरी भी गमे-दुनिया सँवर जाए

मेरी जाँ, तेरे आने की आस कितनी है बची


Wednesday, February 5, 2014

वफा का आईना जब तेरी नजर से गुजरा

इश्क की आबरू हमने बचा लिया अक्सर
चिरागे-दिल से मुकद्दर जला लिया अक्सर
कौन चाहेगा कि खुद मौत को पीते जाएँ
दर्द ने सबको शराबी बना दिया अक्सर
वफा का आईना जब तेरी नजर से गुजरा
तूने अपना ये चेहरा छुपा लिया अक्सर
करीब रहते हैं जो रातभर इस कलेजे में
चाँद वो दिन में हमने बुझा दिया अक्सर
फूल जितने भी मायूस होके टूट चुके थे
उनसे ही अपना गुलशन सजा लिया अक्सर
गुनाह पूरी तसल्ली से किया करता हूँ
तेरा खंजर सीने पे चला लिया अक्सर

Mohabbat Love Shayari in Hindi

आह और दर्द बस तेरा तलबगार हुआ
आंख पत्थर हुई, अश्क आबशार हुआ
ये जुदाई भी अमावस का एक सितारा है
चांद के बिन ये फलक भी दागदार हुआ
मेरी पलकों का झपकना बड़ा मुश्किल है
ऐसा तबसे है जबसे तेरा दीदार हुआ
सो रहे हैं इन मकानों के बाशिन्दे सभी
मैं जगा रहके बस्ती का गुनहगार हुआ

Sunday, January 26, 2014

हमें मालूम है अंजामे-इश्क बुरा होगा

हमें मालूम है अंजामे-इश्क बुरा होगा
लेकिन इश्क हो गया तो क्यों इंतहा करें

ये दर्द है, इस दर्द पे काबू नहीं होता
अब नब्ज चले किसी तरह, ये दुआ करें

बेखुद सी हुई रातें, ओझल सी हुई दुनिया
अपने ही वजूद में हम खुद को फना करें

इजहार न कर सके जब अपनी जुबां से
उस हुस्न के सितम हम कैसे बयां करें


Pyar Ki Shayari in Hindi

तेरी खामोशी किसी सदमे की निशानी है

तेरी आंखों में गहरे जख्म का पानी है

जो गुलाबी बदन में दर्द को भर दे

उस कांटे का एक नाम बस जवानी है

इन खुली जुल्फों में आवारगी सी लगती है

तेरी बिखड़ी लटें तेरी तरह दीवानी है

रोग ऐसा है तो मरहम जाने क्या होगा

दिले-नादां की ये पीड़ भी अंजानी है


Dil Se Dil Tak Shayari Hindi

इश्क हटा दोगे सीने से, आखिर क्या रह जाएगा
तब तो तेरा जिस्म सलोना, बुत जैसा रह जाएगा

इस मुरादों की दुनिया में, मेरी चाहत कुछ भी नहीं
तू मुझे जो मिल न सकी, बस ये गम रह जाएगा

मेरी मानो तो धरती पर दो ही चीजें अपनी हैं
दिल का दर्द औ खारा आंसू, आखिर में रह जाएगा

शब से नाता है पुराना, सहर से कभी मिल न सके
दिन में दिल तो सो लेगा, रात में तन्हा रह जाएगा


ये खामोश गजल मैं तुमको सुनाऊं कैसे

छलकते दर्द को होठों से बताऊं कैसे
ये खामोश गजल मैं तुमको सुनाऊं कैसे
दर्द गहरा हो तो आवाज़ खो जाती है
जख़्म से टीस उठे तो तुमको पुकारूं कैसे
मेरे जज़्बातों को मेरी इन आंखों में पढ़ो
अब तेरे सामने मैं आंसू भी बहाऊं कैसे
इश्क तुमसे किया, जमाने का सितम भी सहा
फिर भी तुम दूर हो हमसे, ये जताऊं कैसे

तेरे बिन हम दिलजले कभी चैन नहीं पाएंगे

ये करवटों के सिलसिले कभी खत्म हो न पाएंगे
तेरे बिन हम दिलजले कभी चैन नहीं पाएंगे
ऐ चांद फासला बढ़ा, इतनी कि तुम खो जाओ
तेरी हसीन चांदनी में उन्हें हम भूल नहीं पाएंगे
बरसात के मौसम में शराबें तो पी ली हमने
क्या खबर थी भीगकर हम नशे में रह नहीं पाएंगे
आखिर किसी मुकाम पर मेरे मंजिल का निशां होगा
तेरी ऊंगली थामे बिना वहां तक चल नहीं पाएंगे