Friday, October 28, 2016

वो भी क्या दिन थे की हर वहम यकीं होता था

किस को क़ातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ
सब यहां दोस्त ही बैठे हैं किसे क्या समझूँ

वो भी क्या दिन थे की हर वहम यकीं होता था
अब हक़ीक़त नज़र आए तो उसे क्या समझूँ


दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे
ऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूँ

ज़ुल्म ये है कि है यक्ता तेरी बेगानारवी
लुत्फ़ ये है कि मैं अब तक तुझे अपना समझूँ

हम मुसाफिर सफ़र पे ही चलते रहे

वक़्त बदल गया पर बदली सिर्फ कहानी हे.
साथ मेरे ये खूबसूरत लम्हों की यादे पुरानी हे,
मत लगाओ मेरे ये दर्द भरे ज़ख्मो पे मलम,
मेरे पास सिर्फ उनकी बस यही एक निसानी हे.

वो सूरज की तरह आग उगलते रहे, 
हम मुसाफिर सफ़र पे ही चलते रहे, 
वो बीते वक़्त थे, उन्हें आना न था, 
हम सारी रात करवट बदलते रहे.



प्यार की कली सब के लिए खिलती नहीं, 
चाह कर भी हरेक एक चीज मिलती नहीं,
सच्चा प्यार किस्मत से मिलता है,
पर हर एक को ऐसी किस्मत मिलती नहीं.

आँख तो प्यार में दिल की ज़ुबान होती है,
सच्ची चाहत तो सदा बे-ज़ुबान होती है,
प्यार में दर्द भी मिले तो क्या घबराना,
सुना है दर्द से ही चाहत और जवान होती है.

जिंदगी बेच दी मैंने इसे पाने की खातिर

मुफलिसी जब बदनसीबी में बदलने लगी
और मोहब्बत मेरी बेबसी में बदलने लगी

तब प्यार भरे गीतें को नीलाम कर दिया
शायरी जब मेरी आवारगी में बदलने लगी.

निगाहे बदली मगर अहदे वफ़ा नहीं बदला
तूफानों में कभी हमने नाखुदी नहीं बदला

बहारे आई और आकर चली गयी ओ ग़ालिब
मेरे चमन से लेकिन दौरे खिज़ा नहीं बदला.

इतना भी न सताओ अपने चाहने वालो को

मोहब्बत से गम,गम से हम पेरशान है
लाखो हैं दीवाने तेरे,मगर हम ही बदनाम है

इतना भी न सताओ अपने चाहने वालो को
पागल दीवाने ही सही मगर फिर भी इंसान तो है.



खूबसूरती तो बहुत दी खुदा ने तुम्हे
मगर हमें तुम्हारी वफ़ा ना मिल सकी

बहुत आग दी हमने बुझते चिराग को
मगर मोहब्बत की शमा जल ना सकी.

गमो की गहराई में अगर छोड़ आते हमें

अगर मुझ पर ऐतबार किया होता
तो आपको जाने क्या दिया होता
गमो की गहराई में अगर छोड़ आते हमें
तो भरी महफ़िल में ना ज़हर पिया होता 

हमसे रूठ जाने की खता कब तक याद करोगे
हम मर जाएंगे तेरी याद में तो याद करोगे
फिर ना हम यहाँ लोट कर आएगें
रो रोकर मिलने की फरियाद करोगे

तुम मेरी जिन्दगी मेरी जीने कि वजह बन जाओ

मेरी एक खवाहिश है जो तुम हों,
मेरी एक चाहत है जो तुम हों,

एक ही मेरी दुआ एक ही मेरी फरियाद
बस एक ही मेरी मोहब्बत है जो तुम हों.

मेरी चाहते बढने लगी है,
मुझे तेरी जरूरत होने लगी है,

बस बाहों में आ जाओ मेरी
मुझे तुम से मोहब्बत होने लगी है.



तुम मेरी खुशी बन जाओ,
तुज मेरी हँसी बन जाओ,

हमारी तो चाहत ही यही है
तुम मेरी जिन्दगी मेरी जीने कि वजह बन जाओ.

तुझे सीने से लगाओं कैसे,
तुझे दिल में बसाओं कैसे,

मेरी हर साँस पर बस तेरा ही नाम है
तुझे ये बताओं तो बताओं कैसे.

Tuesday, October 25, 2016

उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से

वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है;
बहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है;

उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से;
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिये बनाया है.


हम उस से थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं;
न जाने उस से मिलने का इरादा कैसा लगता है;

मैं धीरे धीरे उन का दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ;
वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है.

अब हक़ीक़त नज़र आए तो उसे क्या समझूँ

किस को क़ातिल मैं कहूँ किस को मसीहा समझूँ;
सब यहाँ दोस्त ही बैठे हैं किसे क्या समझूँ.

वो भी क्या दिन थे कि हर वहम यकीं होता था;
अब हक़ीक़त नज़र आए तो उसे क्या समझूँ.


दिल जो टूटा तो कई हाथ दुआ को उठे;
ऐसे माहौल में अब किस को पराया समझूँ.

ज़ुल्म ये है कि है यक्ता तेरी बेगानारवी;
लुत्फ़ ये है कि मैं अब तक तुझे अपना समझूँ.

हसीनों ने हसीन बन कर गुनाह किया

हसीनों ने हसीन बन कर गुनाह किया;
औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया;

पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफाई को;
औरों ने तो क्या उन्होंने भी वाह - वाह किया।


ज़रा साहिल पे आकर वो थोड़ा मुस्कुरा देती;
भंवर घबरा के खुद मुझ को किनारे पर लगा देता;

वो ना आती मगर इतना तो कह देती मैं आँऊगी;
सितारे, चाँद सारा आसमान राह में बिछा देता।

हम सिमटते गए उनमें और वो हमें भुलाते गए

दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे,
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे,

वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे.



इश्क़ सभी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पर मरना सीखा देता है,

इश्क़ नहीं किया तो करके देखो,
ज़ालिम हर दर्द सहना सीखा देता है.

तेरी रूह से रूह तक का रिश्ता है मेरा

पलकों में आँसु और दिल में दर्द सोया है,

हँसने वालो को क्या पता, रोने वाला किस कदर रोया है.


ये तो बस वही जान सकता है मेरी तनहाई का आलम,


जिसने जिन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है.




तेरी धड़कन ही ज़िंदगी का किस्सा है मेरा,

तू ज़िंदगी का एक अहम् हिस्सा है मेरा.


मेरी मोहब्बत तुझसे, सिर्फ़ लफ्जों की नहीं है,


तेरी रूह से रूह तक का रिश्ता है मेरा.

Thursday, March 17, 2016

कुछ लोग जिन्दगी में मिलते हैं ऐसे

खूबसूरत सा एक पल किस्सा बन जाता है,
जाने कब कौन जिंदगी का हिस्सा बन जाता है.

कुछ लोग जिन्दगी में मिलते हैं ऐसे,
जिनसे कभी ना टुटने वाला रिश्ता बन जाता है.



तेरी चुप्पी का सबब हम जानते है,
महकते होंठों की शिकायत हम जानते है.

मेरी हिचकी भी दे रही है गवाही मुहब्बत की,
तेरे पलकों की हरकत भी हम जानते है.

काश एक दिन ऐसा भी आये

ना जाने मुहब्बत में कितने अफसाने बन जाते है
शमां जिसको भी जलाती है वो परवाने बन जाते है,

कुछ हासिल करना ही इश्क कि मंजिल नही होती
किसी को खोकर भी कुछ लोग दिवाने बन जाते है.





दोस्ती से बड़ी कोई जागीर नहीं होती,
इससे अच्छी कोई तस्वीर नहीं होती,

एक प्यार का नाज़ुक सा धागा है दोस्ती,
फिर भी इससे पक्की कोई ज़ंजीर नहीं होती.

महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए

चलो आज खामोश प्यार को इक नाम दे दें,
अपनी मुहब्बत को इक प्यारा अंज़ाम दे दें

इससे पहले कहीं रूठ न जाएँ मौसम अपने
धड़कते हुए अरमानों एक सुरमई शाम दे दें.



आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हुए,
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए,

करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो,
पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा हुए.

सारे जहाँ का दर्द अपना मुक़द्दर निकला

हमे जरूरत नहीं किसी अलफ़ाज़ की
प्यार तो चीज़ है बस एहसास की

पास होते आप तो मंज़र कुछ और ही होता
लेकिन दूर से खबर है हमे आपकी हर धड़कन की.



कितना अजीब अपनी ज़िन्दगी का सफर निकला,
सारे जहाँ का दर्द अपना मुक़द्दर निकला,

जिसके नाम अपनी ज़िन्दगी का हर लम्हा कर दिया,
अफ़सोस वही हमारी चाहत से बेखबर निकला.

कभी वो मेरी आँखों में सपने बनकर रहा करती थी

अजब होती है इश्क की दास्ताँ,
बिछड़कर भी प्रेमी कब जुदा होते हैं

कभी वो मेरी आँखों में सपने बनकर रहा करती थी,
अब भी है वो साथ मेरे, फर्क बस इतना है
अब आँसू बनकर बहा करती है.



उतर के देख मेरी चाहत की गहराई में,
सोचना मेरे बारे में रात की तनहाई में,

अगर हो जाए मेरी चाहत का एहसास तुम्हे,
तो मिलेगा मेरा अक्स तुम्हें अपनी ही परछाई में.

Saturday, February 27, 2016

ये तजरबा है कि अपनों ने हमें जख्म दिया

हम तो हर मौसम में गुनाह किया करते हैं
जिस्म की कैद से अश्कों को रिहा करते हैं

अपनी आजादी हमें जां से अधिक प्यारी है
इसलिए तो हम भटकते हुए जिया करते हैं


ये तजरबा है कि अपनों ने हमें जख्म दिया
अब तो तन्हाई में ये दर्द सहा करते हैं

रात होती है तो तुम याद बहुत आती हो
तेरे ही गम में हर रात जगा करते हैं

खुशी छा जाती है नजरों पे कफन बनकर

इस जमाने के रोशनी से जब बाहर आएगा
तब तेरे दिल में उजाला सा नजर आएगा

खुशी छा जाती है नजरों पे कफन बनकर
दर्दे तन्हाई में तू जिंदगी को समझ पाएगा


इश्क के चिरागों को गजलों से जलाते चलो
उम्र तो इस तरह से भी मेरा कट जाएगा

क्या लेकर जाना है हमें इस दुनिया से
जब मेरा जिस्म ही मुझे छोड़ चला जाएगा

आहें दिल की आरजू हैं, दर्द ही तमन्ना है

आहें दिल की आरजू हैं, दर्द ही तमन्ना है
इश्क ही गुनाह मेरा, फिर सजा तो सहना है

मुश्किलों के इस दौर में दूर है मेरी दिलरुबा
ऐसी तन्हाई में मेरे मुश्किलों को बढ़ना है


तेरी आंखों के दरवाजे खुलते हैं बस मेरे लिए
लेकिन तेरे आशियां में गैरों को ही रहना है

लड़ जाऊंगा मैं दुनिया से लेकिन तू रुसवा होगी
दाग न तुझपे लगने देंगे, खुद से ही बस लड़ना है

खिलके गुलाब की तरह मुरझा कर गिर गया

जाते-जाते वो मेरे खूँ में जहर भर गया
उसकी याद में जीके मैं आठों पहर मर गया

आशना के चार दिन ऐसे तज़रबे दे गए
खिलके गुलाब की तरह मुरझाकर गिर गया

उनकी तरफ बढ़ाया था बेखुदी में दो कदम
होश आया तो लगा कि खुद से दगा कर गया

किस दिल में मिलता है इस जहान में वफा
इसकी तलाश में भला क्यूँ किसी के घर गया

ना जाने आज चाँद भी कहाँ खो गया

वो अंजुमन की आग में लिपटे हुए तारे
आँसू के चिरागों से सुलगते नज़ारे
आसमान की नज़र में अटके हुए सारे

ना जाने आज चाँद भी कहाँ खो गया
फलक का अँधेरा भी दरिया पे सो गया
रोता है हर शै कि आज क्या हो गया

शज़र के शाखों पे नशेमन की ख़ामोशी
फैली है पंछियों में ये कैसी उदासी
क्यूँ लग रही हर चीज़ आज जुदा सी

बजती है सन्नाटे में झिंगुरों की झनक
या टूट रही है तेरी चूड़ियों की खनक
आती है आहटों से जख्मों की झलक

ये रात कब बीतेगी मेरी जवानी की
कब ख़त्म होगी कड़ियाँ मेरी कहानी की
कब लाएगी तू खुशियाँ जिंदगानी की

मेरी मुंतज़िर निग़ाहों को हुस्न का रूप मिला

जख़्म दर जख़्म हम पाते गए कुछ न कुछ
हर दर्द हर गम पे गाते गए कुछ न कुछ
जो मुझे एक पल की खुशी दे न सके
वो हर पल सितम ढ़ाते गए कुछ न कुछ

हर मंजिल पे एक किनारा दिखता था मगर
उसके बाद एक रोता समंदर भी रहता था
हम नहीं गए उस किनारे पे दिल के लिए
जहाँ आँसू न थे पहले से कुछ न कुछ

मेरी मुंतज़िर निग़ाहों को हुस्न का रूप मिला
मेरे बेकरार रूह को दर्द का धूप मिला
चाँद तो बस दूर से ही नूर को बिखराती रही
मगर देती रही बुझते चिराग को कुछ न कुछ

हमें अफसोस नहीं कि तुझे देखा नहीं जी भर के
तेरी तस्वीर तो तेरे आने से पहले सीने में थी
तू आके बस दरस दिखा के गुजर गई
अब उम्रभर तेरे बारे सोचना है कुछ न कुछ

हो सकता है तेरे दिल में मेरे खातिर जगह न हो

हो सकता है तेरे दिल में मेरे खातिर जगह न हो
हो सकता है इसके पीछे, किसी तरह की वजह न हो

लो गुनाह कुबूल किया, फिर आशिक कहता है कि
दुनिया तेरी कचहरी में मेरे इश्क पे जिरह न हो

रात में शाम का बादल ही चांद का कातिल बनता है
सोचता हूं कि तेरे बिन अब इन रातों की सुबह न हो
तू है गैर के घर में और मैं हो गया जग से पराया
इश्क की दुनिया में किसी का अंजाम मेरी तरह न हो

Tuesday, February 2, 2016

दुनिया में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे

दुनिया में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे
सदियों तलक जमीं पे तेरी कयामत रहे

और भी दुनिया में आएंगे आशिक कितने

उनकी आंखों में तुमको देखने की चाहत रहे

इश्क के तमाशे में हमेशा तेरे किरदार से

दर्द और खामोशी के अश्कों की शिकायत रहे

खुमारियों के चंद लम्हों का है तेरा सुरूर

उसमें डूबकर मरने से दिल को राहत रहे

चाहतों में - Hume Yaad Rakhna Yeh Mere Dilbar

यू नजर से बात की और दिल चुरा गए,
अन्धेरो के साए मे धडकन सुना गए,
हम तो समझते थे अजनबी आपको,
आप तो हमको अपना बना गए।

देख मेरी आँखों में ख्वाब किसके हैं,
दिल में मेरे सुलगते तूफ़ान किसके हैं,
नहीं गुज़रा कोई आज तक इस रास्ते से,
फिर ये क़दमों के निशान किसके हैं।

हर शाम किसी के लिए सुहानी नही होती,
हर प्यार के पीछे कोई कहानी नही होती,
कुछ तो असर होता है दो आत्मा के मेल का,
वरना गोरी राधा, सावले कान्हा की दीवानी न होती।

दूर जाने से पहले - Sad Shayari in Love

दूर जाने से पहले, मेरी जिंदगानी ले जा,
तू मेरे नादाँ दिल से, थोड़ी नादानी ले जा,

कैसे बताओगे सबको, जुदाई का सबब तुम,
तेरे हक़ में लिखी है जो, वो कहानी ले जा,

तेरे खतों के साथ है, कुछ सूखे हुये फूल भी,
तू मुझसे नाकाम मोहब्बत, ये निशानी ले जा,

तुझे मुश्किल होगी, जब हुस्न ढलने लगेगा,
ठहर जरा, मुझसे मेरी बर्बाद ये जवानी ले जा,

तेरे उस बंजर शहर में, सूखा भी बहुत होगा,
आ के मेरी आँखों से बहता, ये पानी ले जा.

दो मशहूर शायरों के अपने-अपने अंदाज

दो मशहूर शायरों के अपने-अपने अंदाज

पहले मिर्ज़ा गालिब

उड़ने दे इन परिंदों को आज़ाद फिजां में ‘गालिब’

जो तेरे अपने होंगे वो लौट आएँगे

शायर इकबाल का उत्तर

ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से 

जब पर निकल आते हैं

तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं

Monday, November 2, 2015

रात आती है तेरी याद चली आती है

रात आती है तेरी याद चली आती है
किस शहर से तेरी आवाज चली आती है

चाँद ने खूब सहा है सूरज की अगन
तेरी ये आग मुझसे न सही जाती है

दिल में उतरी है तेरी दर्द भरी आँखें
मेरी आँखों में वही प्यास जगी जाती है

हमने देखा था खुद को तेरी सूरत में
आईना देखकर अब रात कटी जाती है

Sunday, August 23, 2015

मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो

आप खुद नहीं जानती आप कितनी प्यारी हो,

जान हो हमारी पर जान से प्यारी हो.

दूरियों क होने से कोई फर्क नही पड़ता,

आप कल भी हमारी थी और आज बी हमारी हो.



मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो,

मेरे खयालो मे तुम हो, या मेरा खयाल ही तुम हो.

दिल मेरा धडक के पूछे, बार बार एक ही बात,

मेरी जान मे तुम हो, या मेरी जान ही तुम हो.

इश्क के इस दाग का एक बेवफा से रिश्ता है

इश्क के इस दाग का एक बेवफा से रिश्ता है
इस दुनिया में सदियों से आशिक का ये किस्सा है

दर्दे-दिल की आग को कोई सागर क्या बुझाएगा
दिलजला तो मौत के पहलू में जाकर ही बुझता है

हर सितम एक आईना है, तुमको देखूं बार-बार
खूने-जिगर तो तेरी जफा ही पाने को तरसता है

कागज के फूलों की खूशबू भर जाती है आंखों में
तेरे इन पुराने खतों में तेरा साया दिखता है

हम मुस्कुराते हुए जख्म खाते गए

वो सितम पे सितम मुझपे ढाते गए
हम मुस्कुराते हुए जख्म खाते गए

जिनकी खुशियों की खातिर मरते रहे
वो रिश्ते नाते ही दिल को रुलाते गए

आंखों में आंसुओं की कमी ना रहे
हम समंदर में पानी को लाते गए

दीवानगी ने कभी हार मानी नहीं
मेरी मुुहब्बत भले वो ठुकराते गए

कुछ भी नहीं मिलेगा मुझे तेरी दुआ से

किसको खुदा कहेंगे कोई मेरा खुदा नहीं
है कोई भी खुदा तो वो मुझसे जुदा नहीं
शायर तो मुहब्बत के सिवा कुछ नहीं चाहे
लेकिन जमाने के किसी दिल में वफा नहीं
कुछ भी नहीं मिलेगा मुझे तेरी दुआ से
लगती है बेकसों को किसी की दुआ नहीं
वो हंसके बुझा देती है मेरे सीने में लगी आग
आंसुओं से कभी दामन उसका जला नहीं

तुम मेरे दर्द को मिटा दोगी एक दिन

अपने दिल के सनमखाने के हर जर्रे पे
आँसुओं से तेरे नाम लिखे हैं हमने
ये ख़ामोशी और दर्द के अफ़साने
कोरे कागज़ पे सजाए हैं हमने

ये जो पत्थर के बेदिल मकान हैं
इस दुनिया की गलियों के श्मशान हैं
तन्हाई के जिंदादिली के साये में
तुमको ख़यालों में बसाए हैं हमने

राहों के मुकद्दर में कई मुसाफिर हैं
पर मेरी पगडंडियों पे तू अकेली है
इस भीड़ भरी अंधेर नगरी में
तेरे नूर के माहताब जलाए हैं हमने

मेरी दीवानगी छलक न जाए आंखों से
हम हर फुगां को दिल में दबा लेते हैं
तुम मेरे दर्द को मिटा दोगी एक दिन
इसी उम्मीद में जख्म संभाले हैं हमने

मुहब्बत में उन पर मिटते रहे हम

वफ़ा की तलाश करते रहे हम
बेबफाई में अकेले मरते रहे हम,

नहीं मिला दिल से चाहने वाला
खुद से ही बेबजह डरते रहे हम,

लुटाने को हम सब कुछ लुटा देते
मुहब्बत में उन पर मिटते रहे हम,

खुद दुखी हो कर खुश उन को रखा
तन्हाईयों में सांसे भरते रहे हम,

वो बेवफाई हम से करते ही रहे
दिल से उन पर मरते रहे हम|

रातो के ख्वाबो का इंतजार क्या करू

जिन्हीने बदली थी हमारे ख्वाइशों की जिंदगी..
आज वहो बदले बदले नज़र आते है..

उड़ गए उन परिंदों का मलाल क्या करे..
जब अपने भी औरो की छत पर नज़र आते है..

रातो के ख्वाबो का इंतजार क्या करू..
जब दिन मै भी डरावने सपने आत्ते है..

एक अरसा बीत गया..खुलकर मुस्कुराए हुए..
एक अरसा बीत गया..गीत कोई गाए हुए..

मेरी नज़रों को तेरा इन्तज़ार आज भी है..
एक अरसा बीत गया..कोई रिश्ता नया बनाए हुए..

इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िन्दगी क्या चीज़ है

होश वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िन्दगी क्या चीज़ है

उन से नज़रें क्या मिली रोशन फिजाएँ हो गईं
आज जाना प्यार की जादूगरी क्या चीज़ है

ख़ुलती ज़ुल्फ़ों ने सिखाई मौसमों को शायरी
झुकती आँखों ने बताया मयकशी क्या चीज़ है

हम लबों से कह न पाये उन से हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नहीं ये ख़ामोशी क्या चीज़ है

Sunday, August 2, 2015

तेरे दामन में चांदनी हमेशा रहे

मेरे आंगन में रोशनी भले ना रहे
तेरे दामन में चांदनी हमेशा रहे

मर भी जाऊं तो कफन मिले ना मिले
मेरे खातिर तेरी ओढ़नी हमेशा रहे

तुम भले ही किसी गैर की बाहों में रहो
तेरे दिल में एक जोगनी हमेशा रहे

तेरे आशिक के हर दर्द भरे नज्मों में
गमे-उल्फत की ये रागिनी हमेशा रहे

उसकी चाहत के हम दीवाने निकले,

काश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो यूँ हमें रुसवा ना किया होता,

उनकी ये बेरुखी भी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ लिया होता.

इस कदर हम यार को मनाने निकले,
उसकी चाहत के हम दीवाने निकले,

जब भी उसे दिल का हाल बताना चाहा,
तो उसके होठों से वक़्त ना होने के बहाने निकले.

Thursday, May 28, 2015

एक अरसे से आंखों से आंसू न बहे

एक अरसे से आंखों से आंसू न बहे
इतने मशरूफ हम इस जमाने में रहे

कौन आगे बढ़ा, कौन पीछे रहा, कौन ठहर गया
इन्हीं बेकार की बातों में उलझे से रहे

भरे बाजार में सबने हमें पराया समझा
ऐसे माहौल में अपने भी गैरों से रहे

आज दिल में मेरे रोने की तड़प जागी तो
रातभर हम कोई बहाना ढूंढते से रहे

मुझसे कुदरत की ख़ामोशियों की बात करो

दर्द ये क्या है इस दर्द पे ही बात करो
और कुछ भी नहीं बस आंसुओं की बात करो

न ये दुनिया, न ही रिश्ते, न ही बंधन की
इन हवाओं में उड़ते पंछियों की बात करो

राज़ तन्हाई की और बोलियां निगाहों की
मुझसे कुदरत की ख़ामोशियों की बात करो

मुझे समझा न सकोगे कभी दोस्त मेरे
सोचने की नहीं, अहसासों की बात करो

Saturday, April 18, 2015

मेरा दिल धडकता है सिर्फ तुम्हारे लिए

तेरी हर अदा मोहब्बत सी लगती है,
एक पल की जुदाई मुद्दत सी लगती है,
पहले नही सोचा था अब सोचने लगे है हम,
जिंदगी के हर लम्हों में तेरी ज़रूरत सी लगती है

ढलती शाम का खुला एहसास है ,
मेरे दिल में तेरी जगह कुछ खास है ,
तू नहीं है यहाँ मालूम है मुझे ...
पर दिल ये कहता है तू यहीं मेरे पास है

मुस्कान तेरे होठों से कही जाए न,
आंसू तेरी पलकों पे कही आए न,
पूरा हो तेरा हर खवाब,
और जो पूरा न हो वो खवाब कभी आए न !!

मेरा दिल धडकता है सिर्फ तुम्हारे लिए,
मेरा दिल तडफता है सिर्फ तुम्हारे लिए,
ना जाने मै क्यो डरता हूँ आपसे,
अपने प्यार का इज़हार करने के लिए !!

नज़र ने नज़र से मुलाक़ात कर ली

हर मुलाकात को याद हम करतें हैं,
कभी चाहत कभी जुदाई कि आह भरते है,
यूं तो रोज़ तुम से सपनो मे बात करते हैं पर,
फिर से अगली मुलाकात का इन्तज़ार करते है!!

कागज़ पे हमने ज़िन्दगी लिख दी,
अशकों से सींच कर खुशी लिख दी,
दर्द जब हमने उबारा लफज़ो पे,
लोगो ने कहा वाह क्या गज़ल लिख दी.

उलफत का अकसर यही दस्तूर होता है,
जिसे चाहो वही दूर होता है.
दिल टुट कर बिखरते हैं इस कदर,
जैसे कोई काँच का खिलोना चूर चूर होता है.

नज़र ने नज़र से मुलाक़ात कर ली,
रहे दोनों खामोश पर बात करली,
मोहब्बत की फिजा को जब खुश पाया,
इन आंखों ने रो रो के बरसात कर ली .

वो यादें क्या जिसमे तुम नही

वो ज़िंदगी ही क्या जिसमे मोहब्बत नही,
वो मोहबत ही क्या जिसमे यादें नही,

वो यादें क्या जिसमे तुम नही,
और वो तुम ही क्या जिसके साथ हम नही.

इश्क़ ने हमे बेनाम कर दिया,
हर खुशी से हमे अंजान कर दिया,

हमने तो कभी नही चाहा की हमे भी मोहब्बत हो,
लेकिन आप की एक नज़र ने हमे नीलाम कर दिया

ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है

कुछ उलझे सवालो से डरता हे दिल
जाने क्यों तन्हाई में बिखरता हे दिल

किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही
बस कुछ अपनों को खोने से डरता हे ये दिल.

जब खामोश आँखो से बात होती है
ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है

तुम्हारे ही ख़यालो में खोए रहते हैं
पता नही कब दिन और कब रात होती है.

Friday, April 17, 2015

वो रात दर्द और सितम की रात होगी

वो रात दर्द और सितम की रात होगी,
जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी,
उठ जाता हु मैं ये सोचकर नींद से अक्सर,
के एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी.

इश्क़ सभी को जीना सीखा देता है,
वफ़ा के नाम पर मरना सीखा देता है.
इश्क़ नही किया तो करके देखो,
ज़ालिम हर दर्द सहना सीखा देता है.