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Tuesday, September 23, 2014

रंग आँसू ने भी बदले तन्हाई में

दर्द से आह गई गूँज तन्हाई में

कोई सुनता नहीं आवाज तन्हाई में


डोर तो टूट गयी दो टुकड़े बाकी हैं

कौन जोड़ेगा दोनों को तन्हाई में


आँख तो लाल हुई फिर बेरंग बरसी

रंग आँसू ने भी बदले तन्हाई में


सारी परतें दिल में मेरे सलामत हैं

जख्म दर जख्म संभाले हैं तन्हाई में.

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