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यादों के बन्द कमरे में
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यादों के बन्द कमरे में
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Saturday, August 5, 2017
यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत
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जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी अखरती है बहुत, यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत. पनपने नहीं देता कभी, बेदर्द सी उस ख़्व...
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