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Saturday, August 5, 2017
यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत
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जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी अखरती है बहुत, यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत. पनपने नहीं देता कभी, बेदर्द सी उस ख़्व...
Thursday, November 17, 2016
अपने महबूब को खुदा कर दिया
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वो हमें भूल भी जायें तो कोई गम नहीं, जाना उनका जान जाने से भी कम नहीं, जाने कैसे ज़ख़्म दिए हैं उसने इस दिल को, कि हर कोई कहता है कि इस दर्द...
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