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Friday, April 28, 2017

वो तो खुश्बू है हवाओं में बिखर जाएगा

वो तो खुश्बू है हवाओं में बिखर जाएगा 
मसला फूल का है फूल किधर जाएगा

हम तो समझे थे के एक ज़ख्म है , भर जाएगा 
क्या खबर थी के रग -ऐ -जान में उतर जाएगा



वो हवाओं की तरह खाना -बेजान फिरता है 
एक झौंका है जो आएगा गुज़र जाएगा

वो जब आएगा तो फिर उस की रफ़ाक़त के लिए 
मौसम -ऐ -गुल मेरे आँगन में ठहर जाएगा

आख़िर वो भी कहीं रेत पे बैठी होगी 
तेरा यह प्यार भी दरिया है उतर जाएगा

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