Wednesday, October 25, 2017
Wednesday, October 11, 2017
कुछ लोग यूँ ही शहर मे हम से भी खफा हैं
दिल मे ना हो ज़रूरत तो मोहब्बत नही मिलती,
खैरात मे इतनी बड़ी दौलत नही मिलती,
कुछ लोग यूँ ही शहर मे हम से भी खफा हैं,
हर एक से अपनी भी तबीयत नही मिलती.
देखा था जिसे मैने कोई और था शायद,
वो कौन है जिस से तेरी सूरत नही मिलती,
हंसते हुए चेहरो से है बाज़ार की ज़न्नत,
रोने को यहा वैसे भी फ़ुर्सत नही मिलती.
खैरात मे इतनी बड़ी दौलत नही मिलती,
कुछ लोग यूँ ही शहर मे हम से भी खफा हैं,
हर एक से अपनी भी तबीयत नही मिलती.
देखा था जिसे मैने कोई और था शायद,
वो कौन है जिस से तेरी सूरत नही मिलती,
हंसते हुए चेहरो से है बाज़ार की ज़न्नत,
रोने को यहा वैसे भी फ़ुर्सत नही मिलती.
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