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Friday, June 11, 2021

जलने दो ज़माने को चलो एक साथ चलते हैं

जलने दो ज़माने को चलो एक साथ चलते हैं,

नयी दुनिया बसाने को चलो एक साथ चलते हैं,

हमें जीवन का हर लम्हा तुम्हारे नाम करना है,

यही वादा निभाने को चलो एक साथ चलते हैं।


इस दिल को अगर तेरा एहसास नहीं होता,

तू दूर भी रह कर के यूँ पास नहीं होता,

इस दिल ने तेरी चाहत कुछ ऐसे बसाली है,

एक लम्हा भी तुझ बिन कुछ खास नहीं होता।


हर लम्हा अपनी पलकों पर बिठाया तुझे,

फिर भी ये इश्क़ मेरा न रास आया तुझे,

किस्मत की भी है यह अजीब दास्ताँ,

कभी हसाया तो कभी रुलाया मुझे।


लाख बंदिशें लगा ले दुनिया हम पर,

मगर दिल पर काबू नहीं कर पाएंगे,

वो लम्हा आखिरी होगा ज़िन्दगी का हमारा,

जिस दिन हम यार तुझे भूल जायेंगे।

Sunday, October 14, 2018

अब जानेमन तू तो नही, शिकवा ए गम किससे कहें

अब जानेमन तू तो नही, शिकवा ए गम किससे कहें
या चुप रहें या रो पड़ें, किस्सा ए गम किससे कहें .


मुझे देखते ही हर निगाह पत्थर सी क्यों हो गयी

जिसे देख दिल हुआ उदास, हैं आँख नाम, किससे कहें.


ग़म के दरियाओं से मिलकर बना है यह सागर;
आप क्यों इसमें समाने की कोशिश करते हो;

कुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवा;
आप क्यों इस ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो.

Saturday, August 5, 2017

जख्म बन जानेँ की आदत है उसकी

तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे.

ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे.


जख्म बन जानेँ की आदत है उसकी
रुला कर मुस्कुरानेँ की आदत है उसकी.

मिलेगेँ कभी तोँ खुब रूलायेँ उसको,
सुना है रोतेँ हूऐ लिपट जाने की आदत है उसकी.