उनके होंठो पे मेरा नाम जब आया होगा,
खुदको रुसवाई से फिर कैसे बचाया होगा,
सुनके फसाना औरो से मेरी बर्बादी का,
क्या उनको अपना सितम ना याद आया होगा.
रेत पर नाम कभी लिखते नहीं,
रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नहीं,
तुम कहते हो पत्थर दिल हूँ मैं,
पत्थर पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं.
तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गयी,
किस्मत भी अपना खेल दिखाती चली गयी,
महकती फ़िज़ा की खुशबू में जो देखा तुम को,
बस याद उनकी आई और रुलाती चली गयी.
खुदको रुसवाई से फिर कैसे बचाया होगा,
सुनके फसाना औरो से मेरी बर्बादी का,
क्या उनको अपना सितम ना याद आया होगा.
रेत पर नाम कभी लिखते नहीं,
रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नहीं,
तुम कहते हो पत्थर दिल हूँ मैं,
पत्थर पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं.
तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गयी,
किस्मत भी अपना खेल दिखाती चली गयी,
महकती फ़िज़ा की खुशबू में जो देखा तुम को,
बस याद उनकी आई और रुलाती चली गयी.