वो हर रोज गुजरकर तेरी गली से जाना याद आता है,
खुदा ना खास्ता वो तेरा मिल जाना याद आता है।
तब तुमसे मिला करते थे छुप छुप के हम,
खुदा ना खास्ता वो तेरा मिल जाना याद आता है।
यूँ ही गुजर गया वो जमाना तुम्हारे इन्तजार का,
आज भी मुझे वो गुजरा जमाना याद आता है।
सुना है कि आज भी हमारी बातें करते है लोग,
आज भी सबको वो अपना अफसाना याद आता है।
तुम भी मुस्कुराती हो बेवजह अक्सर आईने में,
सुना है तुमको भी अपना ये दीवाना याद आता है।
तब तुमसे मिला करते थे छुप छुप के हम,
हर आहट से तेरा वो घबराना याद आता है।
मैं शुक्रगुजार हूँ उन सर्द हवाओं का आज भी,
वो ठंड में हम दोनों का लिपट जाना याद आता है।
आज भी जब मैं मुस्कुराता हूँ कभी आईने में,
मुझे देखकर तेरा वो मुस्कुराना याद आता है।
बस यादें ही रह गयी और कुछ न बचा यहाँ,
कभी तेरा हँसाना कभी सताना याद आता है।