ठीक से अभी आँखों को चार तो होने दो,
मेरे इश्क़ का जुनून खुद पे सवार तो होने दो,
दिल की गहराइयों में अब तलक तू कहाँ झाँकी है,
मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है।
तुम्हारी पलकों को मेरा इंतज़ार तो होने दो,
भीतर से हाँ बाहर से इंकार तो होने दो,
मेरी तन्हाइयों ने बस तेरी ही राह ताकी है,
मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है।