ज़िन्दगी का वाे फ़साना ना रहा,
दिल भी अब ये दीवाना ना रहा.
भीगें बरसातों में सोचा बरसों से,
आज पर मौसम सुहाना ना रहा.
बेरूखियों से लफ़्ज भी गूँगे हुए,
और वो दिलकश तराना ना रहा.
परछाँईयाँ पलकों में धुँधली हुई,
कनखियों का मुस्कुराना ना रहा.
क्यूँ सुनाऊँ तुमको मैं शिकवे गिले,
प्यार जब अपना पुराना ना रहा.