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Dard Bhari in Hindi
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Sunday, April 15, 2018
अबके बरस भी वो नहीं आये बहार में
अबके बरस भी वो नहीं आये बहार में,
गुज़रेगा और एक बरस इंतज़ार में.
ये आग इश्क़ की है बुझाने से क्या बुझे,
दिल तेरे बस में है ना मेरे इख़्तियार में.
है टूटे दिल में तेरी मुहब्बत, तेरा ख़याल,
कुछ रंग है बहार के उजड़ी बहार में.
आँसू नहीं हैं आँख में लेकिन तेरे बग़ैर,
तूफ़ान छुपे हुए हैं दिल-ए-बेक़रार में.
Saturday, August 5, 2017
जख्म बन जानेँ की आदत है उसकी
तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे.
ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे.
जख्म बन जानेँ की आदत है उसकी
रुला कर मुस्कुरानेँ की आदत है उसकी.
मिलेगेँ कभी तोँ खुब रूलायेँ उसको,
सुना है रोतेँ हूऐ लिपट जाने की आदत है उसकी.
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