Monday, January 7, 2019

तस्कीन न हो जिस से वो राज़ बदल डालो

तस्कीन न हो जिस से वो राज़ बदल डालो,
जो राज़ न रख पाए हमराज़ बदल डालो.

तुम ने भी सुनी होगी बड़ी आम कहावत है, 
अंजाम का जो हो खतरा आग़ाज़ बदल डालो.


पुर-सोज़ दिलों को जो मुस्कान न दे पाए,
सुर ही न मिले जिस में वो साज़ बदल डालो.

दुश्मन के इरादों को है ज़ाहिर अगर करना,
तुम खेल वही खेलो अंदाज़ बदल डालो.

ऐ दोस्त करो हिम्मत कुछ दूर सवेरा है,
अगर चाहते हो मंज़िल तो परवाज़ बदल डालो.

इस शहर-ए-खराबी में गम-ए-इश्क के मारे

इस शहर-ए-खराबी में गम-ए-इश्क के मारे,
ज़िंदा हैं यही बात बड़ी बात है प्यारे.

ये हंसता हुआ लिखना ये पुरनूर सितारे,
ताबिंदा-ओ-पा_इन्दा हैं ज़र्रों के सहारे.


हसरत है कोई गुंचा हमें प्यार से देखे,
अरमां है कोई फूल हमें दिल से पुकारे.

हर सुबह मेरी सुबह पे रोती रही शबनम.
हर रात मेरी रात पे हँसते रहे तारे,

कुछ और भी हैं काम हमें ए गम-ए-जानां.
कब तक कोई उलझी हुई ज़ुल्फ़ों को सँवारे,

तन्हा तन्हा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे

तन्हा तन्हा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे,
जब तक आँसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनायेंगे.

तुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं,
देर न करना घर जाने में वरना घर खो जायेंगे.


बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो,
चार किताबें पढ़ कर वो भी हम जैसे हो जायेंगे.

किन राहों से दूर है मंज़िल कौन सा रस्ता आसाँ है,
हम जब थक कर रुक जायेंगे औरों को समझायेंगे.

अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर-दिल हो मुमकिन है,
हम तो उस दिन रो देंगे जिस दिन धोखा खायेंगे.