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Monday, May 27, 2019

नए चेहरों में अब पहली सी कशिश कहाँ है बाकी

फरिश्ते भी अब कहाँ जख्मों का इलाज करते हैं, 
बस तसल्ली देते है कि अब करते है, आज करते है। 

उनसे बिछड़कर हमको तो मिल गयी सल्तनत-ए-गजल, 
चलो नाम उनके हम भी जमाने के तख्तों-ताज करते है। 


नए चेहरों में अब पहली सी कशिश कहाँ है बाकी, 
अब तो बस पुरानी तस्वीर देखकर ही रियाज करते है। 

और एक दिन दिल ए "मीर" ने आकर ख्वाब में हमसे ये कहा, 
शायरी करो "रोशन" यहाँ बस शायरों का लिहाज करते है।