Wednesday, February 14, 2018

ज़िन्दगी - ऐ - ज़िन्दगी - Dard E Dil Love Shayari

क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है 
हम ख़ाक-नाशिनो की ठोकर में ज़माना है

वो हुस्न -ओ -जमाल उनका यह इश्क़ -ओ -शबाब अपना 
जीने की तम्मना है मरने का ज़माना है


या वो थे खफा हम से या हम थे खफा उनसे 
कल उनका ज़माना था आज अपना ज़माना है

यह इश्क़ नहीं आसां इतना तो समझ लीजिये 
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है

आँसू तो बहुत से हैं आँखों में “जिगर” लेकिन 
बन जाए सो मोती है बह जाए सो पानी है

तू खफा किस बात से है

अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गए 
जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए.


मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते जाते कई उसने 
जैसे उसे कुछ कहना था जो वो कहना भूल गया.



मेरा रिश्ता जो तेरी रूह और तेरी ज़ात से है 
यह न समझो यह जनून हिजर के जज़्बात से है.

मैं तो रहता हूँ मुखातिब हर जगह तुझ से 
लगता है मेरा नाता खुद अपने आप से है.

बेसबब तुम उठा दो जो हैं दरमियान दीवारें 
कुछ तो मिले खबर तू खफा किस बात से है.

भूल के कुछ यादें तेरी - Reh Jaati Hain Kuch Yaadein

फासलों ने दिल की क़ुर्बत को बढ़ा दिया,
आज उस की याद ने बे हिसाब रुला दिया,

उस को शिकायत है के मुझे उस की याद नहीं,
हम ने जिस की याद में खुद को भुला दिया,


भूल के ग़ज़ल अपनी तेरी ग़ज़ल कैसे सजाऊँ,
दिल में उतार जाएं वो लफ़ज़ कहाँ से लाऊँ,

भूल के कुछ यादें तेरी, याद कैसे दिल में बसाऊँ,
दिल को तेरा सुकूँ दे वो ग़ज़ल कहाँ से लाऊँ.