आह और दर्द बस तेरा तलबगार हुआ
आंख पत्थर हुई, अश्क आबशार हुआ
ये जुदाई भी अमावस का एक सितारा है
चांद के बिन ये फलक भी दागदार हुआ
मेरी पलकों का झपकना बड़ा मुश्किल है
ऐसा तबसे है जबसे तेरा दीदार हुआ
सो रहे हैं इन मकानों के बाशिन्दे सभी
मैं जगा रहके बस्ती का गुनहगार हुआ
hi
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