इन जख्मों को भरने में लगेंगे कई मौसम
अभी तुमको भूलने में लगेंगे कई मौसम
तेरे इश्क में ये बहार एक पल में उजड़ गई
अब फूलों को खिलने में लगेंगे कई मौसम
सदमे मिले हैं जिनको दुनिया में बेवफाओं से
उनके आंसुओं को गिरने में लगेंगे कई मौसम
मुझे अपनी तो परवाह नहीं मगर तेरी बहुत है
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