एक अरसे से आंखों से आंसू न बहे
इतने मशरूफ हम इस जमाने में रहे
कौन आगे बढ़ा, कौन पीछे रहा, कौन ठहर गया
इन्हीं बेकार की बातों में उलझे से रहे
भरे बाजार में सबने हमें पराया समझा
ऐसे माहौल में अपने भी गैरों से रहे
आज दिल में मेरे रोने की तड़प जागी तो
रातभर हम कोई बहाना ढूंढते से रहे
इतने मशरूफ हम इस जमाने में रहे
कौन आगे बढ़ा, कौन पीछे रहा, कौन ठहर गया
इन्हीं बेकार की बातों में उलझे से रहे
भरे बाजार में सबने हमें पराया समझा
ऐसे माहौल में अपने भी गैरों से रहे
आज दिल में मेरे रोने की तड़प जागी तो
रातभर हम कोई बहाना ढूंढते से रहे
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