तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे.
ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे.
जख्म बन जानेँ की आदत है उसकी
रुला कर मुस्कुरानेँ की आदत है उसकी.
मिलेगेँ कभी तोँ खुब रूलायेँ उसको,
सुना है रोतेँ हूऐ लिपट जाने की आदत है उसकी.
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