इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद
इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद,
मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद.
तिनके तिनके मे बिखरते चले गये,
तन्हाई की गहराइयो मे उतरते चले गये,
जन्नत थी हर शाम जिन दोस्तो के साथ,
एक एक कर के सब बिछड़ते चले गये.
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