Sunday, October 14, 2018

अब जानेमन तू तो नही, शिकवा ए गम किससे कहें

अब जानेमन तू तो नही, शिकवा ए गम किससे कहें
या चुप रहें या रो पड़ें, किस्सा ए गम किससे कहें .


मुझे देखते ही हर निगाह पत्थर सी क्यों हो गयी

जिसे देख दिल हुआ उदास, हैं आँख नाम, किससे कहें.


ग़म के दरियाओं से मिलकर बना है यह सागर;
आप क्यों इसमें समाने की कोशिश करते हो;

कुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवा;
आप क्यों इस ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो.

No comments:

Post a Comment