अब जानेमन तू तो नही, शिकवा ए गम किससे कहें
अब जानेमन तू तो नही, शिकवा ए गम किससे कहें
या चुप रहें या रो पड़ें, किस्सा ए गम किससे कहें .
मुझे देखते ही हर निगाह पत्थर सी क्यों हो गयी
जिसे देख दिल हुआ उदास, हैं आँख नाम, किससे कहें.
ग़म के दरियाओं से मिलकर बना है यह सागर;
आप क्यों इसमें समाने की कोशिश करते हो;
कुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवा;
आप क्यों इस ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो.
No comments:
Post a Comment