Thursday, March 28, 2019

उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर

निगाहों से कत्ल कर दे न हो तकलीफ दोनों को,
तुझे खंजर उठाने की मुझे गर्दन झुकाने की।

एक सी शोखी खुदा ने दी है हुस्नो-इश्क को,
फर्क बस इतना है वो आंखों में है ये दिल में है।

उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर,
दो पियालों में भरी है कैसे लाखों मन शराब।



आँसुओं से जिनकी आँखे नम नही,
क्या समझते हो कि उन्हें कोई गम नही।

आँखे ही बना देती हैं फ़साना किसी का,
आँखे ही बना देती हैं दीवाना किसी का,

आँखे ही हँसाती हैं, आँखे ही रूलाती हैं,
आँखे ही बसा देती हैं घराना किसी का।

Saturday, March 16, 2019

तुम्हारी पलकों को मेरा इंतज़ार तो होने दो

ठीक से अभी आँखों को चार तो होने दो, 
मेरे इश्क़ का जुनून खुद पे सवार तो होने दो, 

दिल की गहराइयों में अब तलक तू कहाँ झाँकी है, 
मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है। 


तुम्हारी पलकों को मेरा इंतज़ार तो होने दो, 
भीतर से हाँ बाहर से इंकार तो होने दो, 

मेरी तन्हाइयों ने बस तेरी ही राह ताकी है, 
मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है। 

Wednesday, March 6, 2019

ज़िन्दगी में इतने ग़म थे जिनका अंदाज़ा न था

कौन सा वो ज़ख्मे-दिल था जो तर-ओ-ताज़ा न था, 
ज़िन्दगी में इतने ग़म थे जिनका अंदाज़ा न था, 

'अर्श' उनकी झील सी आँखों का उसमें क्या क़ुसूर, 
डूबने वालों को ही गहराई का अंदाज़ा न था।


उसे पाया नहीं लेकिन उसको खोना भी नहीं है,
उसके बगैर आंसू लेकर रोना भी नहीं है,

प्यार का रुख नफ़रत में कुछ इस कदर बदला,
अब सोचते है कि उसका कभी होना भी नहीं है।