Monday, July 22, 2019

लोग तो अपना बना कर छोड़ देते हैं

मिले न फूल तो काँटों से जख्म खाना है,
उसी गली में मुझे बार-बार जाना है,
मैं अपने खून का इल्जाम दूँ तो किसको दूँ,
लिहाज ये है कि क़ातिल से दोस्ताना है।

लोग तो अपना बना कर छोड़ देते हैं,
कितनी आसानी से गैरों से रिश्ता जोड़ लेते हैं,
हम एक फूल तक ना तोड़ सके कभी,
कुछ लोग बेरहमी से दिल तोड़ देते हैं।


धीरे धीरे से अब तेरे प्यार का दर्द कम हुआ,
ना तेरे आने के खुशी ना तेरे जाने का गम हुआ,
जब लोग मुझसे पूछते हैं हमारे प्यार की दास्तान,
कह देता हूँ एक फसाना था जो अब खत्म हुआ।

जब किसी का दर्द हद से गुजर जाता है
तो समंदर का पानी आँखों में उतर आता है,
कोई बना लेता है रेत से आशियाना तो,
किसी का लहरों में सबकुछ बिखर जाता है।

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