पागल-पागल सब कहते हैं, दीवाने तुम कहते हो
मुझपे सबने पत्थर फेंका, फूलें तुम बरसाते हो
पल दो पल ये साथ हमारा, एक मुसाफिर एक हसीना
आवारों की गर्दिश में तुम हुस्न की शमा जलाते हो
ये दुनिया मेरी कातिल है, तूने जान बचायी मेरी
मुज़रिम तेरे पीछे पड़े हैं, उनसे तुम टकराते हो
तुमने सागर को देखा है, हमने बस तुमको देखा
ठहरे अश्क में डूबी निगाहें, गहरे दर्द में जीते हो
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