प्यासी निगाहों का कोई ऐतबार नहीं
कब मचल जाए कोई अख्तियार नहीं
दिल की आग कब भड़के, क्या जानें
कौन इस दुनिया में रहता बेकरार नहीं
इस जवानी में इतनी मुहब्बत है कि
कोई नहीं जो किसी का तलबगार नहीं
महसूस करे जो मेरे इस दर्दे दिल को
आज तक मिला है मुझे वो प्यार नहीं
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