भूल से भी जिंदगी को नाराज न कीजिए कभी
लीजिए आ गई नशे में घुली रात अभी
नादान हसरतें आपके दिल और हमारे दिल में
फिर दूरियों में न गुजर जाए रात अभी
सूर्ख चादर सा फैला है गुलाबों की जमीं
ख्वाबों की महक से फिजा रोशन है अभी
शब पे छायी है हर तरफ मदहोश हवाएं
नींद से बढ़के हसीन जगने का पहर है अभी
कशमकश होती ही रहती है सदा दिल में आपके
सीधे-सीधे मेरी बातों को मान लीजिए अभी
खर्च कर दें आज हम अपनी सारी ख्वाहिशें
बंदिशों की दीवार गिराने का मौसम है अभी.
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