अजब होती है इश्क की दास्ताँ,
बिछड़कर भी प्रेमी कब जुदा होते हैं
कभी वो मेरी आँखों में सपने बनकर रहा करती थी,
अब भी है वो साथ मेरे, फर्क बस इतना है
अब आँसू बनकर बहा करती है.
उतर के देख मेरी चाहत की गहराई में,
सोचना मेरे बारे में रात की तनहाई में,
अगर हो जाए मेरी चाहत का एहसास तुम्हे,
तो मिलेगा मेरा अक्स तुम्हें अपनी ही परछाई में.
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