वो तो खुश्बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसला फूल का है फूल किधर जाएगा
हम तो समझे थे के एक ज़ख्म है , भर जाएगा
हम तो समझे थे के एक ज़ख्म है , भर जाएगा
एक झौंका है जो आएगा गुज़र जाएगा
वो जब आएगा तो फिर उस की रफ़ाक़त के लिए
वो जब आएगा तो फिर उस की रफ़ाक़त के लिए
मौसम -ऐ -गुल मेरे आँगन में ठहर जाएगा
आख़िर वो भी कहीं रेत पे बैठी होगी
आख़िर वो भी कहीं रेत पे बैठी होगी
तेरा यह प्यार भी दरिया है उतर जाएगा
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