बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता,
वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं,
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता।
तेरी याद आई तो थोड़ा उदास हो जाऊंगा,
ज़िन्दगी से फिर एक बार निराश हो जाऊंगा,
कभी सोचा भी ना था ऐसा भी होगा,
तेरी ख़ुशी के लिए मै खुद को रूलाऊंगा।
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