Sunday, October 14, 2018
प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं
प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया भी नहीं;
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं;
बेरुख़ी इससे बड़ी और भला क्या होगी;
एक मुद्दत से हमें उस ने सताया भी नहीं;
रोज़ आता है दर-ए-दिल पे वो दस्तक देने;
आज तक हमने जिसे पास बुलाया भी नहीं;
सुन लिया कैसे ख़ुदा जाने ज़माने भर ने;
वो फ़साना जो कभी हमने सुनाया भी नहीं;
तुम तो शायर हो “क़तील” और वो इक आम सा शख़्स;
उसने चाहा भी तुझे और जताया भी नहीं।
अब जानेमन तू तो नही, शिकवा ए गम किससे कहें
अब जानेमन तू तो नही, शिकवा ए गम किससे कहें
या चुप रहें या रो पड़ें, किस्सा ए गम किससे कहें .
या चुप रहें या रो पड़ें, किस्सा ए गम किससे कहें .
जब मुझसे मोहबत ही नही तो रोकते क्यू हो.?
जब मुझसे मोहबत ही नही तो रोकते क्यू हो.?
तन्हाई मे मेरे बारे मे सोचते क्यू हो.?
जब मंज़िले ही जुड़ा ह तो जाने दो मुझे,
लोट के कब आओगे यह पुचहते क्यूँ हो….??
ज़ख़्म लगा कर मेरे दिल पे बड़ी सादगी से,
मेरे ज़ख़्मी दिल का हाल पुचहते क्यूँ हो….?
ठुकरा कर मेरी मोहब्बत को एस तरह,
पलट पलट कर प्यार से देखते क्यूँ हो……??
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है
नये परिन्दों को उड़ने में वक़्त तो लगता है।
जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था,
लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है।
गाँठ अगर पड़ जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी,
लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है।
हमने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ़ लिया है,
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तो लगता है।
Friday, September 21, 2018
जियो इतना कि मरना मुश्किल हो जाए
यादों का इक झोंका आया हम से मिलने बरसों बाद,
पहले इतना रोये न थे जितना रोये बरसों बाद,
लम्हा लम्हा उजड़ा तो ही हम को एहसास हुआ,
पत्थर आये बरसों पहले शीशे टूटे बरसों बाद.
जियो इतना कि मरना मुश्किल हो जाए,
हंसो इतना कि रोना मुश्किल हो जाए,
किसी को पाना किस्मत की बात है,
पर चाहो इतना कि भुलाना मुश्किल हो जाए.
Monday, September 17, 2018
निगाहों में तेरे जलवों की कसरत ले के आया हूँ
यादों के धुएं में तेरी परछाई सी लगती है,
ख्वाबों में गूंजती शहनाई सी लगती है,
करीब हो तो अपनापन सा लगता है,
वर्ना सीने में हर सांस पराई सी लगती है.
हमारी ज़िंदगी हमारी साँस बन गये हो तुम,
खूबसूरत मोहब्बत का एहसास बन गये हो तुम,
हमे ज़रूरत है साँसों से ज्यादा तुम्हारी
क्योकि हमारी ज़िंदगी का एक हिस्सा खास बन गये हो तुम.
Thursday, August 16, 2018
न बची जीने की चाहत, तो मौत का सामान ढूंढता है
न बची जीने की चाहत, तो मौत का सामान ढूंढता है,
क्या हुआ है दिल को, कि कफ़न की दुकान ढूंढता है.
समझाता हूँ बहुत कि जी ले आज के युग में भी थोड़ा,
मगर वो है कि बस, अपने अतीत के निशान ढूंढता है.
मैं अब कहाँ से लाऊं वो निश्छल प्यार वो अटूट रिश्ते ,
बस वो है कि हर सख़्श में, सत्य और ईमान ढूंढता है.
दिखाई पड़ते हैं उसे दुनिया में न जाने कितने हीअपने,
मगर वो तो हर किसी में, अपने लिए सम्मान ढूंढता है.
मूर्ख है “LOVE” न समझा आज के रिश्तों की हक़ीक़त,
अब रिश्तों से मुक्ति पाने को, आदमी इल्ज़ाम ढूंढता है.
क्या हुआ है दिल को, कि कफ़न की दुकान ढूंढता है.
समझाता हूँ बहुत कि जी ले आज के युग में भी थोड़ा,
मगर वो है कि बस, अपने अतीत के निशान ढूंढता है.
मैं अब कहाँ से लाऊं वो निश्छल प्यार वो अटूट रिश्ते ,
बस वो है कि हर सख़्श में, सत्य और ईमान ढूंढता है.
दिखाई पड़ते हैं उसे दुनिया में न जाने कितने हीअपने,
मगर वो तो हर किसी में, अपने लिए सम्मान ढूंढता है.
मूर्ख है “LOVE” न समझा आज के रिश्तों की हक़ीक़त,
अब रिश्तों से मुक्ति पाने को, आदमी इल्ज़ाम ढूंढता है.
Wednesday, July 11, 2018
इस नज़ाकत का बुरा हो , वो भले हैं तो क्या
इस नज़ाकत का बुरा हो , वो भले हैं तो क्या,
हाथ आएँ तो उन्हें हाथ लगाए न बने,
कह सके कौन के यह जलवागरी किस की है,
पर्दा छोड़ा है वो उस ने के उठाये न बने.

मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब,
आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना,
मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते “ग़ालिब”,
अर्श से इधर होता काश के माकन अपना.
हाथ आएँ तो उन्हें हाथ लगाए न बने,
कह सके कौन के यह जलवागरी किस की है,
पर्दा छोड़ा है वो उस ने के उठाये न बने.

मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब,
आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना,
मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते “ग़ालिब”,
अर्श से इधर होता काश के माकन अपना.
Tuesday, June 26, 2018
दर्द अगर काजल होता तो आँखों में लगा लेते
दर्द अगर काजल होता तो आँखों में लगा लेते;
दर्द अगर आँचल होता तो अपने सर पर सजा लेते;
दर्द अगर समुंदर होता तो दिल को हम साहिल बना लेते;
और दर्द अगर तेरी मोहब्बत होती तो उसको चाहत-ऐ ला हासिल बना लेते।

गर तेरी नज़र एक बार हम पर होती,
दर्द अगर समुंदर होता तो दिल को हम साहिल बना लेते;
और दर्द अगर तेरी मोहब्बत होती तो उसको चाहत-ऐ ला हासिल बना लेते।

गर तेरी नज़र एक बार हम पर होती,
इश्क़ की खुमारी हमे भी महसोस होती,
कुछ तोड़ने का एहसास तुम्हे ज़रूर होता मगर,
कुछ तोड़ने का एहसास तुम्हे ज़रूर होता मगर,
दिल के टूटने पर कोई आवाज़ नही होती.
Thursday, June 21, 2018
तुम्हारी मोहब्बत मे मै दीवानी हो गयी हूँ
तुम्हारी मोहब्बत मे मै दीवानी हो गयी हूँ,
ना रही खुद की खबर बेगानी हो गयी हूँ,
चाहा था ना करूँ तुम से प्यार,
मगर कम्बख़त तुम्हारी आशिक़ुए हो गयी हूँ,
अब तो खुदा ही जाने क्या होगा मेरा,
जो इस तरह मई तुम्हारी दीवानी हो गयी हूँ.
हम तो किताब ए दिल को पढ़ रहे थे,
हमारा भी नाम उसमे जुड़ा हुवा मिला,
जब हमने अपने नाम का पन्ना खोला,
तब किस्मत देखो वोही पन्ना मुड़ा हुवा मिला.
Monday, June 11, 2018
गुलशन-गुलशन शोला-ए-ग़ुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली
गुलशन-गुलशन शोला-ए-ग़ुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली
हर्फ़-ए-जुनूँ की बंद-गिराँ की ज़ुल्म-ओ-सज़ा की बात चली।
हर्फ़-ए-जुनूँ की बंद-गिराँ की ज़ुल्म-ओ-सज़ा की बात चली।
ज़िंदा-ज़िंदा शोर-ए-जुनूँ है मौसम-ए-गुल के आने से
महफ़िल-महफ़िल अबके बरस अरबाब-ए-वफ़ा की बात चली।
महफ़िल-महफ़िल अबके बरस अरबाब-ए-वफ़ा की बात चली।
अहद-ए-सितम है देखें हम आशुफ़्ता-सरों पर क्या गुजरे
शहर में उसके बंद-ए-क़बा के रंग-ए-हिना की बात चली।
एक हुआ दीवाना एक ने सर तेशे से फोड़ लिया
कैसे-कैसे लोग थे जिनसे रस्म-ए-वफ़ा की बात चली।
कैसे-कैसे लोग थे जिनसे रस्म-ए-वफ़ा की बात चली।
Thursday, May 3, 2018
किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा.
कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा.
काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा.
किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा.
देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा.
और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा.
कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा.
अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा
ऐ ज़िन्दगी! अब के ना शामिल करना मेरा नाम
ग़र ये खेल ही दोबारा होगा.
जानता हूँ अकेला हूँ फिलहाल
पर उम्मीद है कि दूसरी और ज़िन्दगी का कोई ओर ही किनारा होगा.
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत ना हुई
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत ना हुई
जिसको चाहा उसे अपना ना सके जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई.
जिससे जब तक मिले दिल ही से मिले दिल जो बदला तो फसाना बदला
दूर से था वो कई चेहरों में पास से कोई भी वैसा ना लगा
बेवफ़ाई भी उसी का था चलन फिर किसीसे भी शिकायत ना हुई.
वक्त रूठा रहा बच्चे की तरह राह में कोई खिलौना ना मिला
दोस्ती भी तो निभाई ना गई दुश्मनी में भी अदावत ना हुई.
प्यार करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यों हो.
अपने हाथों से यूँ चेहरे को छुपाते क्यों हो
मुझ से शर्माते हो तो सामने आते क्यों हो.
तुम कभी मेरी तरह कर भी लो इकरार -ए -वफ़ा
प्यार करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यों हो.
अश्क आँखों में मेरी देख के रोते क्यों हो
दिल भर आता है तो फिर दिल को दुखाते क्यों हो.
इन से वाबस्ता है जब मेरा मुक़द्दर फिर तुम
मेरे शानों से ये ज़ुल्फ़ हटाते क्यों हो.
रोज़ मर मर के मुझे जीने को कहते क्यों हो
मिलने आते हो तो फिर लौट के जाते क्यों हो.
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा.
बेवक़्त अगर जाऊँगा, सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा.
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा.
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मेरा काँटों-भरा बिस्तर नहीं देखा.
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा.
बेवक़्त अगर जाऊँगा, सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा.
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा.
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मेरा काँटों-भरा बिस्तर नहीं देखा.
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा.
Thursday, April 26, 2018
बा -मुश्किल मिली है आज़ादी, ज़रा संभल के रहिये
बा -मुश्किल मिली है आज़ादी, ज़रा संभल के रहिये,
पहना दे बेड़िया फिर से न कोई, ज़रा संभल के रहिये.
ज़र्रे ज़र्रे में मिला है खून शहीदों का वतन वालो,
ऐसी ज़मीने हिंद को न घूरे कोई, ज़रा संभल के रहिये.
खिसका देते हैं पडोसी कुछ नाग हमारे घर में भी,
हमें फन उनका भी कुचलना है, ज़रा संभल कर रहिये.
डटे हैं जांबाज़ सीमा पर आँखें लगाये दुश्मनों पर,
घर के अंदर भी हैं दुश्मन हमारे, ज़रा संभल कर रहिये.
लहराता रहे तिरंगा अज़ीमो शान से हर तरफ,
उठे न कोई बदनज़र उस पर कभी, ज़रा संभल कर रहिये.
Sunday, April 15, 2018
Friday, April 6, 2018
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा
किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से
हर जगह ढूँधता फिरता है मुझे घर मेरा
एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा
मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा
आईना देखके निकला था मैं घर से बाहर
आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा
Friday, March 30, 2018
हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं
हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं,
ज़िंदा तो है जीने की अदा भूल गए हैं.
ख़ुशबू जो लुटाती है मसलते हैं उसी को,
एहसान का बदला यही मिलता है कली को,
एहसान तो लेते है, सिला भूल गए हैं.
करते है मोहब्बत का और एहसान का सौदा,
मतलब के लिए करते है ईमान का सौदा,
डर मौत का और ख़ौफ़-ऐ-ख़ुदा भूल गए हैं.
अब मोम पिघल कर कोई पत्थर नही होता,
अब कोई भी क़ुर्बान किसी पर नही होता,
यूँ भटकते है मंज़िल का पता भूल गए हैं.
Wednesday, March 21, 2018
Saturday, March 10, 2018
काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत है
काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत है,
दिल मे पराया दर्द बसाना मेरी आदत है.
मेरा गला गर कट जाए तो तुझ पर क्या इल्ज़ाम,
हर क़ातिल को गले लगाना मेरी आदत है.
जिन को दुनिया ने ठुकराया जिन से हैं सब दूर,
ऐसे लोगों को अपनाना मेरी आदत है.
सब की बातें सुन लेता हूँ मैं चुपचाप मगर,
अपने दिल की करते जाना मेरी आदत है.
Wednesday, February 14, 2018
ज़िन्दगी - ऐ - ज़िन्दगी - Dard E Dil Love Shayari
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है
हम ख़ाक-नाशिनो की ठोकर में ज़माना है
वो हुस्न -ओ -जमाल उनका यह इश्क़ -ओ -शबाब अपना
जीने की तम्मना है मरने का ज़माना है
या वो थे खफा हम से या हम थे खफा उनसे
कल उनका ज़माना था आज अपना ज़माना है
यह इश्क़ नहीं आसां इतना तो समझ लीजिये
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है
आँसू तो बहुत से हैं आँखों में “जिगर” लेकिन
बन जाए सो मोती है बह जाए सो पानी है
तू खफा किस बात से है
अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गए
जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए.
मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते जाते कई उसने
जैसे उसे कुछ कहना था जो वो कहना भूल गया.
मेरा रिश्ता जो तेरी रूह और तेरी ज़ात से है
यह न समझो यह जनून हिजर के जज़्बात से है.
मैं तो रहता हूँ मुखातिब हर जगह तुझ से
लगता है मेरा नाता खुद अपने आप से है.
बेसबब तुम उठा दो जो हैं दरमियान दीवारें
कुछ तो मिले खबर तू खफा किस बात से है.
जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए.
मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते जाते कई उसने
जैसे उसे कुछ कहना था जो वो कहना भूल गया.
मेरा रिश्ता जो तेरी रूह और तेरी ज़ात से है
यह न समझो यह जनून हिजर के जज़्बात से है.
मैं तो रहता हूँ मुखातिब हर जगह तुझ से
लगता है मेरा नाता खुद अपने आप से है.
बेसबब तुम उठा दो जो हैं दरमियान दीवारें
कुछ तो मिले खबर तू खफा किस बात से है.
भूल के कुछ यादें तेरी - Reh Jaati Hain Kuch Yaadein
फासलों ने दिल की क़ुर्बत को बढ़ा दिया,
आज उस की याद ने बे हिसाब रुला दिया,
भूल के ग़ज़ल अपनी तेरी ग़ज़ल कैसे सजाऊँ,
दिल में उतार जाएं वो लफ़ज़ कहाँ से लाऊँ,
भूल के कुछ यादें तेरी, याद कैसे दिल में बसाऊँ,
दिल को तेरा सुकूँ दे वो ग़ज़ल कहाँ से लाऊँ.
दिल को तेरा सुकूँ दे वो ग़ज़ल कहाँ से लाऊँ.
Wednesday, December 20, 2017
दिल-ऐ -ग़म गुस्ताख़ - Love Shayari in Hindi
दिया है दिल अगर उस को , बशर है क्या कहिये
हुआ रक़ीब तो वो , नामाबर है , क्या कहिये
यह ज़िद की आज न आये और आये बिन न रहे
यह ज़िद की आज न आये और आये बिन न रहे
काजा से शिकवा हमें किस क़दर है , क्या कहिये
ज़ाहे -करिश्मा के यूँ दे रखा है हमको फरेब
ज़ाहे -करिश्मा के यूँ दे रखा है हमको फरेब
की यह कहे की सर -ऐ -रहगुज़र है , क्या कहिये
तुम्हें नहीं है सर-ऐ-रिश्ता-ऐ-वफ़ा का ख्याल
तुम्हें नहीं है सर-ऐ-रिश्ता-ऐ-वफ़ा का ख्याल
हमारे हाथ में कुछ है , मगर है क्या कहिये
कहा है किस ने की “ग़ालिब ” बुरा नहीं लेकिन
कहा है किस ने की “ग़ालिब ” बुरा नहीं लेकिन
सिवाय इसके की आशुफ़्तासार है क्या कहिये
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की,
लम्हें तो अपने आप मिल जाते हैं,
कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को,
याद वही आते हैं जो उड़ जाते हैं.
भी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो,
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो,
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना,
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो.
लम्हें तो अपने आप मिल जाते हैं,
कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को,
याद वही आते हैं जो उड़ जाते हैं.
भी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो,
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो,
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना,
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो.
Tuesday, December 12, 2017
संगमरमर के महल में तेरी तस्वीर सजाऊंगा
संगमरमर के महल में तेरी तस्वीर सजाऊंगा,
अपने इस दिल में तेरे ही ख्वाब जगाऊंगा,
यूँ एक बार आजमा के देख तेरे दिल में बस जाऊंगा,
मैं तो प्यार का हूँ प्यासा तेरे आगोश में मर जाऊॅंगा.
कब तक वो मेरा होने से इंकार करेगा,
खुद टूट कर वो एक दिन मुझसे प्यार करेगा,
इश्क़ की आग में उसको इतना जला देंगे,
कि इज़हार वो मुझसे सर-ए-बाजार करेगा.
अपने इस दिल में तेरे ही ख्वाब जगाऊंगा,
यूँ एक बार आजमा के देख तेरे दिल में बस जाऊंगा,
मैं तो प्यार का हूँ प्यासा तेरे आगोश में मर जाऊॅंगा.
कब तक वो मेरा होने से इंकार करेगा,
खुद टूट कर वो एक दिन मुझसे प्यार करेगा,
इश्क़ की आग में उसको इतना जला देंगे,
कि इज़हार वो मुझसे सर-ए-बाजार करेगा.
Saturday, November 25, 2017
इतनी लंबी उमर की दुआ मत माँग मेरे लिए
इतनी लंबी उमर की दुआ मत माँग मेरे लिए,
ऐसा ना हो के तू भी छोड़ दे ओर मौत भी ना आए.
एक बार फिर से निकलेंगे तलाश-ए-इश्क़ में,
दुआ करो यारों इस बार कोई बेवफा ना मिले.
नशा दौलत का हो या फिर शोहरत का, चूर कर देता हैं,
मगर नशा हो अगर मुहब्बत का तो मजबूर कर देता है.
वो जब पास हमारे साथ होगी तब शायद कयामत होगी,
अभी तो सिर्फ उसकी तस्वीर ने ही तबाही मचा रखी है.
ऐसा ना हो के तू भी छोड़ दे ओर मौत भी ना आए.
एक बार फिर से निकलेंगे तलाश-ए-इश्क़ में,
दुआ करो यारों इस बार कोई बेवफा ना मिले.
मगर नशा हो अगर मुहब्बत का तो मजबूर कर देता है.
वो जब पास हमारे साथ होगी तब शायद कयामत होगी,
अभी तो सिर्फ उसकी तस्वीर ने ही तबाही मचा रखी है.
Wednesday, October 25, 2017
Wednesday, October 11, 2017
कुछ लोग यूँ ही शहर मे हम से भी खफा हैं
दिल मे ना हो ज़रूरत तो मोहब्बत नही मिलती,
खैरात मे इतनी बड़ी दौलत नही मिलती,
कुछ लोग यूँ ही शहर मे हम से भी खफा हैं,
हर एक से अपनी भी तबीयत नही मिलती.
देखा था जिसे मैने कोई और था शायद,
वो कौन है जिस से तेरी सूरत नही मिलती,
हंसते हुए चेहरो से है बाज़ार की ज़न्नत,
रोने को यहा वैसे भी फ़ुर्सत नही मिलती.
खैरात मे इतनी बड़ी दौलत नही मिलती,
कुछ लोग यूँ ही शहर मे हम से भी खफा हैं,
हर एक से अपनी भी तबीयत नही मिलती.
देखा था जिसे मैने कोई और था शायद,
वो कौन है जिस से तेरी सूरत नही मिलती,
हंसते हुए चेहरो से है बाज़ार की ज़न्नत,
रोने को यहा वैसे भी फ़ुर्सत नही मिलती.
Tuesday, September 26, 2017
तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गयी
उनके होंठो पे मेरा नाम जब आया होगा,
खुदको रुसवाई से फिर कैसे बचाया होगा,
सुनके फसाना औरो से मेरी बर्बादी का,
क्या उनको अपना सितम ना याद आया होगा.
रेत पर नाम कभी लिखते नहीं,
रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नहीं,
तुम कहते हो पत्थर दिल हूँ मैं,
पत्थर पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं.
तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गयी,
किस्मत भी अपना खेल दिखाती चली गयी,
महकती फ़िज़ा की खुशबू में जो देखा तुम को,
बस याद उनकी आई और रुलाती चली गयी.
खुदको रुसवाई से फिर कैसे बचाया होगा,
सुनके फसाना औरो से मेरी बर्बादी का,
क्या उनको अपना सितम ना याद आया होगा.
रेत पर नाम कभी लिखते नहीं,
रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नहीं,
तुम कहते हो पत्थर दिल हूँ मैं,
पत्थर पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं.
तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गयी,
किस्मत भी अपना खेल दिखाती चली गयी,
महकती फ़िज़ा की खुशबू में जो देखा तुम को,
बस याद उनकी आई और रुलाती चली गयी.
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