Wednesday, July 11, 2018

इस नज़ाकत का बुरा हो , वो भले हैं तो क्या

इस नज़ाकत का बुरा हो , वो भले हैं तो क्या,
हाथ आएँ तो उन्हें हाथ लगाए न बने,

कह सके कौन के यह जलवागरी किस की है,
पर्दा छोड़ा है वो उस ने के उठाये न बने.



मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब,
आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना,

मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते “ग़ालिब”,
अर्श से इधर होता काश के माकन अपना.

Tuesday, June 26, 2018

दर्द अगर काजल होता तो आँखों में लगा लेते

दर्द अगर काजल होता तो आँखों में लगा लेते;
दर्द अगर आँचल होता तो अपने सर पर सजा लेते;

दर्द अगर समुंदर होता तो दिल को हम साहिल बना लेते;
और दर्द अगर तेरी मोहब्बत होती तो उसको चाहत-ऐ ला हासिल बना लेते।



गर तेरी नज़र एक बार हम पर होती,
इश्क़ की खुमारी हमे भी महसोस होती,

कुछ तोड़ने का एहसास तुम्हे ज़रूर होता मगर,
दिल के टूटने पर कोई आवाज़ नही होती.

Thursday, June 21, 2018

तुम्हारी मोहब्बत मे मै दीवानी हो गयी हूँ

तुम्हारी मोहब्बत मे मै दीवानी हो गयी हूँ,
ना रही खुद की खबर बेगानी हो गयी हूँ,

चाहा था ना करूँ तुम से प्यार,
मगर कम्बख़त तुम्हारी आशिक़ुए हो गयी हूँ,

अब तो खुदा ही जाने क्या होगा मेरा,
जो इस तरह मई तुम्हारी दीवानी हो गयी हूँ.


हम तो किताब ए दिल को पढ़ रहे थे,
हमारा भी नाम उसमे जुड़ा हुवा मिला,

जब हमने अपने नाम का पन्ना खोला,
तब किस्मत देखो वोही पन्ना मुड़ा हुवा मिला.

Monday, June 11, 2018

गुलशन-गुलशन शोला-ए-ग़ुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली

गुलशन-गुलशन शोला-ए-ग़ुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली
हर्फ़-ए-जुनूँ की बंद-गिराँ की ज़ुल्म-ओ-सज़ा की बात चली।
ज़िंदा-ज़िंदा शोर-ए-जुनूँ है मौसम-ए-गुल के आने से
महफ़िल-महफ़िल अबके बरस अरबाब-ए-वफ़ा की बात चली।

अहद-ए-सितम है देखें हम आशुफ़्ता-सरों पर क्या गुजरे
शहर में उसके बंद-ए-क़बा के रंग-ए-हिना की बात चली।
एक हुआ दीवाना एक ने सर तेशे से फोड़ लिया
कैसे-कैसे लोग थे जिनसे रस्म-ए-वफ़ा की बात चली।

Thursday, May 3, 2018

किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा

किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा.

कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा.

काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा.

किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा.

देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा.


और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा.

कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा.

अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा

ऐ ज़िन्दगी! अब के ना शामिल करना मेरा नाम
ग़र ये खेल ही दोबारा होगा.

जानता हूँ अकेला हूँ फिलहाल
पर उम्मीद है कि दूसरी और ज़िन्दगी का कोई ओर ही किनारा होगा.

कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत ना हुई

कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत ना हुई
जिसको चाहा उसे अपना ना सके जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई.

जिससे जब तक मिले दिल ही से मिले दिल जो बदला तो फसाना बदला
रस्में दुनिया की निभाने के लिए हमसे रिश्तों की तिज़ारत ना हुई.


दूर से था वो कई चेहरों में पास से कोई भी वैसा ना लगा
बेवफ़ाई भी उसी का था चलन फिर किसीसे भी शिकायत ना हुई.

वक्त रूठा रहा बच्चे की तरह राह में कोई खिलौना ना मिला
दोस्ती भी तो निभाई ना गई दुश्मनी में भी अदावत ना हुई.

प्यार करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यों हो.

अपने हाथों से यूँ चेहरे को छुपाते क्यों हो
मुझ से शर्माते हो तो सामने आते क्यों हो.

तुम कभी मेरी तरह कर भी लो इकरार -ए -वफ़ा
प्यार करते हो तो फिर प्यार छुपाते क्यों हो.


अश्क आँखों में मेरी देख के रोते क्यों हो
दिल भर आता है तो फिर दिल को दुखाते क्यों हो.

इन से वाबस्ता है जब मेरा मुक़द्दर फिर तुम
मेरे शानों से ये ज़ुल्फ़ हटाते क्यों हो.

रोज़ मर मर के मुझे जीने को कहते क्यों हो
मिलने आते हो तो फिर लौट के जाते क्यों हो.

आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा

आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा.

बेवक़्त अगर जाऊँगा, सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा.


जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा.

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मेरा काँटों-भरा बिस्तर नहीं देखा.

पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा.

Thursday, April 26, 2018

बा -मुश्किल मिली है आज़ादी, ज़रा संभल के रहिये

बा -मुश्किल मिली है आज़ादी, ज़रा संभल के रहिये,
पहना दे बेड़िया फिर से न कोई, ज़रा संभल के रहिये.

ज़र्रे ज़र्रे में मिला है खून शहीदों का वतन वालो,
ऐसी ज़मीने हिंद को न घूरे कोई, ज़रा संभल के रहिये.


खिसका देते हैं पडोसी कुछ नाग हमारे घर में भी,
हमें फन उनका भी कुचलना है, ज़रा संभल कर रहिये.

डटे हैं जांबाज़ सीमा पर आँखें लगाये दुश्मनों पर,
घर के अंदर भी हैं दुश्मन हमारे, ज़रा संभल कर रहिये.

लहराता रहे तिरंगा अज़ीमो शान से हर तरफ,
उठे न कोई बदनज़र उस पर कभी, ज़रा संभल कर रहिये.

Sunday, April 15, 2018

अबके बरस भी वो नहीं आये बहार में

अबके बरस भी वो नहीं आये बहार में,
गुज़रेगा और एक बरस इंतज़ार में.

ये आग इश्क़ की है बुझाने से क्या बुझे,
दिल तेरे बस में है ना मेरे इख़्तियार में.


है टूटे दिल में तेरी मुहब्बत, तेरा ख़याल,
कुछ रंग है बहार के उजड़ी बहार में.

आँसू नहीं हैं आँख में लेकिन तेरे बग़ैर,
तूफ़ान छुपे हुए हैं दिल-ए-बेक़रार में.

Friday, April 6, 2018

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा

किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से
हर जगह ढूँधता फिरता है मुझे घर मेरा


एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा

मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा

आईना देखके निकला था मैं घर से बाहर
आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा

Friday, March 30, 2018

हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं

हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं,
ज़िंदा तो है जीने की अदा भूल गए हैं.

ख़ुशबू जो लुटाती है मसलते हैं उसी को,
एहसान का बदला यही मिलता है कली को,
एहसान तो लेते है, सिला भूल गए हैं.


करते है मोहब्बत का और एहसान का सौदा,
मतलब के लिए करते है ईमान का सौदा,
डर मौत का और ख़ौफ़-ऐ-ख़ुदा भूल गए हैं.

अब मोम पिघल कर कोई पत्थर नही होता,
अब कोई भी क़ुर्बान किसी पर नही होता,
यूँ भटकते है मंज़िल का पता भूल गए हैं.

Wednesday, March 21, 2018

आपके दिल ने हमें आवाज दी हम आ गए

आपके दिल ने हमें आवाज दी हम आ गए,
हमको ले आई मोहब्बत आपकी हम आ गए.

अपने आने का सबब हम क्या बताएँ आपको,
बैठे बैठे याद आई आपकी हम आ गए.


हम है दिलवाले भला हम पर किसी का ज़ोर क्या,
जायेंगे अपनी ख़ुशी अपनी ख़ुशी हम आ गए.

कहिये अब क्या है चराग़ों की ज़रुरत आपको,
लेके आँखों में वफ़ा की रौशनी हम आ गए.

Saturday, March 10, 2018

काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत है

काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत है,
दिल मे पराया दर्द बसाना मेरी आदत है.

मेरा गला गर कट जाए तो तुझ पर क्या इल्ज़ाम,
हर क़ातिल को गले लगाना मेरी आदत है.


जिन को दुनिया ने ठुकराया जिन से हैं सब दूर,
ऐसे लोगों को अपनाना मेरी आदत है.

सब की बातें सुन लेता हूँ मैं चुपचाप मगर,
अपने दिल की करते जाना मेरी आदत है.

Wednesday, February 14, 2018

ज़िन्दगी - ऐ - ज़िन्दगी - Dard E Dil Love Shayari

क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है 
हम ख़ाक-नाशिनो की ठोकर में ज़माना है

वो हुस्न -ओ -जमाल उनका यह इश्क़ -ओ -शबाब अपना 
जीने की तम्मना है मरने का ज़माना है


या वो थे खफा हम से या हम थे खफा उनसे 
कल उनका ज़माना था आज अपना ज़माना है

यह इश्क़ नहीं आसां इतना तो समझ लीजिये 
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है

आँसू तो बहुत से हैं आँखों में “जिगर” लेकिन 
बन जाए सो मोती है बह जाए सो पानी है

तू खफा किस बात से है

अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गए 
जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गए.


मुड़ मुड़ कर पीछे देखा था जाते जाते कई उसने 
जैसे उसे कुछ कहना था जो वो कहना भूल गया.



मेरा रिश्ता जो तेरी रूह और तेरी ज़ात से है 
यह न समझो यह जनून हिजर के जज़्बात से है.

मैं तो रहता हूँ मुखातिब हर जगह तुझ से 
लगता है मेरा नाता खुद अपने आप से है.

बेसबब तुम उठा दो जो हैं दरमियान दीवारें 
कुछ तो मिले खबर तू खफा किस बात से है.

भूल के कुछ यादें तेरी - Reh Jaati Hain Kuch Yaadein

फासलों ने दिल की क़ुर्बत को बढ़ा दिया,
आज उस की याद ने बे हिसाब रुला दिया,

उस को शिकायत है के मुझे उस की याद नहीं,
हम ने जिस की याद में खुद को भुला दिया,


भूल के ग़ज़ल अपनी तेरी ग़ज़ल कैसे सजाऊँ,
दिल में उतार जाएं वो लफ़ज़ कहाँ से लाऊँ,

भूल के कुछ यादें तेरी, याद कैसे दिल में बसाऊँ,
दिल को तेरा सुकूँ दे वो ग़ज़ल कहाँ से लाऊँ.

Wednesday, December 20, 2017

दिल-ऐ -ग़म गुस्ताख़ - Love Shayari in Hindi

दिया है दिल अगर उस को , बशर है क्या कहिये 
हुआ रक़ीब तो वो , नामाबर है , क्या कहिये

यह ज़िद की आज न आये और आये बिन न रहे
काजा से शिकवा हमें किस क़दर है , क्या कहिये

ज़ाहे -करिश्मा के यूँ दे रखा है हमको फरेब 
की बिन कहे ही उन्हें सब खबर है , क्या कहिये


समझ के करते हैं बाजार में वो पुर्सिश -ऐ -हाल
की यह कहे की सर -ऐ -रहगुज़र है , क्या कहिये

तुम्हें नहीं है सर-ऐ-रिश्ता-ऐ-वफ़ा का ख्याल
हमारे हाथ में कुछ है , मगर है क्या कहिये

कहा है किस ने की “ग़ालिब ” बुरा नहीं लेकिन
सिवाय इसके की आशुफ़्तासार है क्या कहिये

आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की

आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की,
लम्हें तो अपने आप मिल जाते हैं,

कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को,
याद वही आते हैं जो उड़ जाते हैं.


भी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो,

मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो,

मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना,
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो.

Tuesday, December 12, 2017

संगमरमर के महल में तेरी तस्वीर सजाऊंगा

संगमरमर के महल में तेरी तस्वीर सजाऊंगा, 
अपने इस दिल में तेरे ही ख्वाब जगाऊंगा, 

यूँ एक बार आजमा के देख तेरे दिल में बस जाऊंगा, 
मैं तो प्यार का हूँ प्यासा तेरे आगोश में मर जाऊॅंगा.


कब तक वो मेरा होने से इंकार करेगा, 

खुद टूट कर वो एक दिन मुझसे प्यार करेगा,

इश्क़ की आग में उसको इतना जला देंगे, 
कि इज़हार वो मुझसे सर-ए-बाजार करेगा.

Saturday, November 25, 2017

लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर

लोग जलते रहे मेरी मुस्कान पर,
मैंने दर्द की अपने नुमाईश न की,

जब जहाँ जो मिला अपना लिया,
जो न मिला उसकी ख्वाहिश न की.



मोहब्बत का मेरे सफर आख़िरी है,
ये कागज कलम ये गजल आख़िरी है,

मैं फिर ना मिलूँगा कहीं ढूंढ लेना,
तेरे दर्द का अब ये असर आख़िरी है.

इतनी लंबी उमर की दुआ मत माँग मेरे लिए

इतनी लंबी उमर की दुआ मत माँग मेरे लिए,
ऐसा ना हो के तू भी छोड़ दे ओर मौत भी ना आए.

एक बार फिर से निकलेंगे तलाश-ए-इश्क़ में,
दुआ करो यारों इस बार कोई बेवफा ना मिले.


नशा दौलत का हो या फिर शोहरत का, चूर कर देता हैं,
मगर नशा हो अगर मुहब्बत का तो मजबूर कर देता है.

वो जब पास हमारे साथ होगी तब शायद कयामत होगी,
अभी तो सिर्फ उसकी तस्वीर ने ही तबाही मचा रखी है.

शाम है बुझी बुझी वक्त है खफा खफा

शाम है बुझी बुझी वक्त है खफा खफा, 
कुछ हंसीं यादें हैं कुछ भरी सी आँखें हैं, 


कह रही है मेरी ये तरसती नजर, 
अब तो आ जाइये अब न तड़पाइये। 



हम ठहर भी जायेंगे राह-ए-जिंदगी में 
तुम जो पास आने का इशारा करो, 


मुँह को फेरे हुए मेरे तकदीर सी, 
यूँ न चले जाइये अब तो आ जाइये।

Wednesday, October 25, 2017

ये कैसी मोहब्बत हैं जो तुम मुझसे करते हो

आखिर क्यों मुझे तुम इतना दर्द देते हो
जब भी मन में आये क्यों रुला देते हो,

निगाहें बेरुखी हैं और तीखे हैं लफ्ज़,
ये कैसी मोहब्बत हैं जो तुम मुझसे करते हो.


मेरे बहते आंसुओ की कोई कदर नहीं,
क्यों इस तरह नजरो से गिरा देते हो,

क्या यही मौसम पसंद है तुम्हे जो,
सर्द रातो में आंसुओ की बारिश करवा देते हो

Wednesday, October 11, 2017

कुछ लोग यूँ ही शहर मे हम से भी खफा हैं

दिल मे ना हो ज़रूरत तो मोहब्बत नही मिलती,
खैरात मे इतनी बड़ी दौलत नही मिलती,

कुछ लोग यूँ ही शहर मे हम से भी खफा हैं,
हर एक से अपनी भी तबीयत नही मिलती.


देखा था जिसे मैने कोई और था शायद,
वो कौन है जिस से तेरी सूरत नही मिलती,

हंसते हुए चेहरो से है बाज़ार की ज़न्नत,
रोने को यहा वैसे भी फ़ुर्सत नही मिलती.

Tuesday, September 26, 2017

तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गयी

उनके होंठो पे मेरा नाम जब आया होगा,
खुदको रुसवाई से फिर कैसे बचाया होगा,

सुनके फसाना औरो से मेरी बर्बादी का,
क्या उनको अपना सितम ना याद आया होगा.

रेत पर नाम कभी लिखते नहीं,
रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नहीं,


तुम कहते हो पत्थर दिल हूँ मैं,
पत्थर पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं.

तन्हाई मेरे दिल में समाती चली गयी,
किस्मत भी अपना खेल दिखाती चली गयी,

महकती फ़िज़ा की खुशबू में जो देखा तुम को,
बस याद उनकी आई और रुलाती चली गयी.

Thursday, September 21, 2017

इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद

इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद,

मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद.


तिनके तिनके मे बिखरते चले गये,
तन्हाई की गहराइयो मे उतरते चले गये,

जन्नत थी हर शाम जिन दोस्तो के साथ,
एक एक कर के सब बिछड़ते चले गये.

Tuesday, September 12, 2017

मेरी रूह में न समाती तो भूल जाता तुम्हे

आरजू नहीं के ग़म का तूफान टल जाये,
फ़िक्र तो ये है तेरा दिल न बदल जाये,

भुलाना हो अगर मुझको तो एक एहसान करना,
दर्द इतना देना कि मेरी जान निकल जाये.


मेरी रूह में न समाती तो भूल जाता तुम्हे,
तुम इतना पास न आती तो भूल जाता तुम्हे,

यह कहते हुए मेरा ताल्लुक नहीं तुमसे कोई,
आँखों में आंसू न आते तो भूल जाता तुम्हे.

Saturday, August 5, 2017

जिनकी आंखें आंसू से नम नहीं

हलकी हलकी जल की बूंदे, जब लेकर आते है बादल,
मन मसोस कर रह जाती हूूँ, बह जाता है मेरा काजल.

कैसे है ये बैरी बादल, पूछ रहा है ये मेरा आँचल,
आसमान भी कह रहा है, ये निर्मोही है काले बादल.


कड़कड़ाहट आवाज़ से, प्रेमियों को कर देता है पागल,
काली घटा जब छट जायेगी, जब समझेगे ये बादल.

हमारी इल्तिज़ा है तुमसे, जरा रूक कर बरसों बादल,
प्रेमी जब मेरा आ जाए, फिर जम कर बरसों  बादल.

यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत

जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी अखरती है बहुत,
यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत.

पनपने नहीं देता कभी, बेदर्द सी उस ख़्वाहिश को,
महसूस तुम्हें जो करने की, कोशिश करती है बहुत.


दावे करती हैं ज़िन्दगी, जो हर दिन तुझे भुलाने के,
किसी न किसी बहाने से, याद तुझे करती है बहुत.

आहट से भी चौंक जाए, मुस्कराने से ही कतराए,
मालूम नहीं क्यों ज़िन्दगी, जीने से डरती है बहुत.

जख्म बन जानेँ की आदत है उसकी

तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे.

ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे.


जख्म बन जानेँ की आदत है उसकी
रुला कर मुस्कुरानेँ की आदत है उसकी.

मिलेगेँ कभी तोँ खुब रूलायेँ उसको,
सुना है रोतेँ हूऐ लिपट जाने की आदत है उसकी.

Monday, July 3, 2017

ये दिल किसी को पाना चाहता है

ये दिल किसी को पाना चाहता है,
और उसे अपना बनाना चाहता है,


खुद तो चाहता है ख़ुशी से धड़कना,
उसका दिल भी धड़काना चाहता है.


जो हँसी खो गई थी बरसों पहले कहीं,
फिर उसे लबों पर सजाना चाहता है,




तैयार है प्यार में साथ चलने के लिए,

उसके हर गम को अपनाना चाहता है.

मोहब्बत तो हो ही गई है अब तो पर,
अब उसी से ही ये छिपाना चाहता है,


ये दिल अब किसी को पाना चाहता है,
और उसे सिर्फ अपना बनाना चाहता है

Dil Ke Sagar Mein Lehre Uthaya Na Karo

दिल के सागर में लहरें उठाया ना करो,
ख्वाब बनकर नींद चुराया न करो,

बहुत चोट लगती है मेरे दिल को,
तुम ख़्वाबों में आ कर यु तड़पाया न करो.

चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,
सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो,

कुछ यूँ चला है तेरे ‘इश्क’ का जादू,
सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो.



उनका हाल भी कुछ आप जैसा ही होगा,
आपका हाले दिल उन्हें भी महसूस होगा,

बेकरारी की आग में जो जल रहे हैं आप,
आपसे ज्यादा उन्हें इस जलन का एहसास होगा.

जो नजरो का हुआ मिलना लब तेरे भी मुस्कुराये थे,
ईश्क के हर जूर्म में मेरे तेरी मोहोब्बत के साये थे,

मेरी हर रात में सजनी तेरी सेजो के साये थे,
रात को ख्वाब में मेरे ख्वाब तेरे मिलने आये थे.

Friday, May 5, 2017

मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे

बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया है मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।

होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया मेरे आगे।



मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे।

ईमान मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे।

गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी सागर-ओ-मीना मेरे आगे।

Wednesday, May 3, 2017

तेरे मेहँदी लगे हाथों पे मेरा नाम लिखा है

तेरे मेहँदी लगे हाथों पे मेरा नाम लिखा है 
ज़रा से लफ्ज़ में कितना पैगाम लिखा है
यह तेरी शान के काबिल नहीं लकिन मजबूरी है 
तेरी मस्ती भरी आँखों को मैंने जाम लिखा है


मैं शायर हूँ ,मगर आगे न बढ़ पाया रिवायत से 
लबों को पंखुड़ी ,ज़ुल्फ़ों को मैंने शाम लिखा है
मुझे मौत आएगी जब भी ,तेरे पहलू में आएगी 
तेरे ग़म ने बहुत अच्छा मेरा अंजाम लिखा है
मेरी क़िस्मत मैं है एक दिन ग्रिफ्तार -ऐ -वफ़ा होना 
मेरे चेहरे पे तेरे प्यार का इलज़ाम लिखा है क़ातील