दिया दिए से जला लूं तो सुकून आये मुझे,
तुम्हें गले से लगा लूं तो चैन आये मुझे,
Monday, March 30, 2020
Wednesday, March 11, 2020
दिल भी अब ये दीवाना ना रहा
ज़िन्दगी का वाे फ़साना ना रहा,
दिल भी अब ये दीवाना ना रहा.
भीगें बरसातों में सोचा बरसों से,
आज पर मौसम सुहाना ना रहा.
बेरूखियों से लफ़्ज भी गूँगे हुए,
और वो दिलकश तराना ना रहा.
परछाँईयाँ पलकों में धुँधली हुई,
कनखियों का मुस्कुराना ना रहा.
क्यूँ सुनाऊँ तुमको मैं शिकवे गिले,
प्यार जब अपना पुराना ना रहा.
Monday, September 23, 2019
खड़े-खड़े साहिल पर हमने शाम कर दी
खड़े-खड़े साहिल पर हमने शाम कर दी,
अपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दी,
ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगी,
बिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी।
होंठो पर देखो फिर आज मेरा नाम आया है,
लेकर नाम मेरा देखो महबूब कितना शरमाया है,
पूछे उनसे मेरी आँखें कितना इश्क है मुझसे,
ऐ बारिश जरा थम के बरस,
जब वो आ जाये तो जम के बरस,
पहले न बरस के वो आ न सके,
फिर इतना बरस के वो जा न सके।
तुम्हें बारिश पसंद है मुझे बारिश में तुम,
तुम्हें हँसना पसंद है मुझे हस्ती हुए तुम,
तुम्हें बोलना पसंद है मुझे बोलते हुए तुम,
तुम्हें सब कुछ पसंद है और मुझे बस तुम।
दिल के बाज़ार में दौलत नही देखी जाती
किसी की धड़कनों के पीछे कोई बात होती है।
हर दर्द के पीछे कोई याद होती होती है।
आपको पता हो या ना हो।
आपकी हँसी या खुशी के पीछे हमारी फ़रयाद होती है।
दिल के बाज़ार में दौलत नही देखी जाती।
प्यार अगर हो जाये तो सूरत नही देखी जाती।
ऐसी क्या दुआ दूं आपको जो आपके लबो पर हँसी के फूल खिलें।
बस यही दुआ है मेरी सितारों से रोशन ख़ुदा आपकी तकदीर बने।
बात बात मे जो रुठ जाते हैं।
अनजाने मे उनसे हाथ छूठ जाते है।
कहते है बड़े कमजोर होते हैं प्यार के रिश्ते।
इसमे हँसते हँसते दिल टूट जते हैं।
अपनी उल्फ़त का यकीन दिला सकते नही।
सारी ज़िन्दगी आपको भुला सकते नही।
हम ओर क्या दे आपको प्यार के सिवा।
चाँद ओर तारे तो ला सकते नही।
ज़िन्दगी बदलती है वख्त के साथ
तरसती नज़रो ने हर पल आपको ऐसे मागा।
जैसे हर अमावस में चांद मागा।
रूठ गया वो खुदा भी हमसे ।
जब हमने अपनी हर दुआ में आपको मागा।
जो प्यार का रिश्ता हम बनाते है।
उसे लोगो से क्यों छुपाते है।
क्या गुनाह है किसी को प्यार करना।
तो बचपन से हमे प्यार करना क्यों सिखाते है।
यादों की हवा ज़ख्मों की दवा बन गई।
दूरी उनकी मेरी चाहत की सज़ा बन गई।
कैसे भूलूं में उन्हें एक पल के लिए ।
उनकी याद ही मेरी जीने की वजह बन गई।
वख्त बदलता है जिंदगी के साथ।
ज़िन्दगी बदलती है वख्त के साथ।
वख्त नही बदलता अपनो के साथ।
बस अपने ही बदल जाते है वख्त के साथ।
उधर आँखों में मंज़र आज भी वैसे का वैसा है
तमन्ना छोड़ देते हैं... इरादा छोड़ देते हैं,
चलो एक दूसरे को फिर से आधा छोड़ देते हैं।
उधर आँखों में मंज़र आज भी वैसे का वैसा है,
उधर आँखों में मंज़र आज भी वैसे का वैसा है,
इधर हम भी निगाहों को तरसता छोड़ देते हैं।
हमीं ने अपनी आँखों से समन्दर तक निचोड़े हैं,
हमीं ने अपनी आँखों से समन्दर तक निचोड़े हैं,
हमीं अब आजकल दरिया को प्यासा छोड़ देते हैं।
हमारा क़त्ल होता है, मोहब्बत की कहानी में,
या यूँ कह लो कि हम क़ातिल को ज़िंदा छोड़ देते हैं।
हमीं शायर हैं, हम ही तो ग़ज़ल के शाहजादे हैं,
तआरुफ़ इतना देकर बाक़ी मिसरा छोड़ देते हैं।
कौन सी शय मुझको पहुँचाएगी तेरे शहर
मैं तो झोंका हूँ हवाओं का उड़ा ले जाऊंगा,
जागते रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊंगा।
हो के कदमों पे निछावर फूल ने बुत से कहा,
ख़ाक में मिलकर भी मैं खुशबू बचा ले जाऊंगा।
कौन सी शय मुझको पहुँचाएगी तेरे शहर,
ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊंगा।
कोशिशें मुझको मिटाने की भले हो कामयाब,
मिटते मिटते भी मैं मिटने का मजा ले जाऊंगा।
शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त दुश्मन हो गए,
सब यहीं रह जाएँगी मैं साथ क्या ले जाऊंगा।
बहुत सुकून मिलता है जब उनसे हमारी बात होती है
बहुत सुकून मिलता है जब उनसे हमारी बात होती है,
वो हजारो रातों में वो एक रात होती है,
जब निगाहें उठा कर देखते हैं वो मेरी तरफ,
तब वो ही पल मेरे लिये पूरी कायनात होती है।
हर कदम हर पल हम आपके साथ है,
भले ही आपसे दूर सही, लेकिन आपके पास हैं,
जिंदगी में हम कभी आपके हो या न हों,
लेकिन हमे आपकी कमी का हर पल एहसास हैं।
Friday, August 16, 2019
जल-जल के दिल मेरा जलन से जल रहा
जल-जल के दिल मेरा जलन से जल रहा,
एक अश्क मेरे आँख में मुद्दत से पल रहा,
जिसका मैं कर रहा हूँ घुट-घुट के इंतजार,
वो बेवफा ना आई मेरा दम निकल रहा।
मुझे इश्क है बस तुमसे नाम बेवफा मत देना,
गैर जान कर मुझे इल्जाम बेवजह मत देना,
जो दिया है तुमने वो दर्द हम सह लेंगे मगर,
किसी और को अपने प्यार की सजा मत देना।
हमने चाहा था जिसे उसे दिल से भुलाया न गया,
जख्म अपने दिल का लोगों से छुपाया न गया,
बेवफाई के बाद भी प्यार करता है दिल उनसे,
कि बेवफाई का इल्ज़ाम भी उस पर लगाया न गया।
हसीं चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश ,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।
इल्जाम न दे मुझको तूने ही सिखाई बेवफाई है
मुझे उसके आँचल का आशियाना न मिला,
उसकी ज़ुल्फ़ों की छाँव का ठिकाना न मिला,
कह दिया उसने मुझको ही बेवफा…
मुझे छोड़ने के लिए कोई बहाना न मिला।
इल्जाम न दे मुझको तूने ही सिखाई बेवफाई है,
देकर के धोखा मुझे मुझको दी रुसवाई है,
मोहब्बत में दिया जो तूने वही अब तू पाएगी,
पछताना छोड़ दे तू भी औरों से धोखा खायेगी।
नफरत को मोहब्बत की आँखों में देखा
एक हसरत थी कि उनके दिल में पनाह मिलेगी,
क्या पता था उनसे मोहब्बत की सज़ा मिलेगी,
न अपनों ने समझा न गैरों ने जाना,
क्या पता था मेरी तक़दीर ही मुझे बेवफा मिलेगी.
नफरत को मोहब्बत की आँखों में देखा,
बेरुखी को उनकी अदाओं में देखा,
आँखें नम हुईं और मैं रो पड़ा…
जब अपने को गैरों की बाहों में देखा.
तुम अगर याद रखोगे तो इनायत होगी,
वरना हमको कहाँ तुम से शिकायत होगी,
ये तो वही बेवफ़ा लोगों की दुनिया है,
तुम अगर भूल भी जाओ जो रिवायत होगी.
मोहब्बत का घना बादल बना देता तो अच्छा था,
मुझे तेरी आँख का काजल बना देता तो अच्छा था,
तुझे पाने की ख्वाइश अब जीने नहीं देती,
खुदा तू मुझे पागल बना देता तो अच्छा था.
Friday, July 26, 2019
आशियाँ बस गया जिनका उन्हें आबाद रहने दो
सजा कैसी मिली मुझको तुमसे दिल लगाने की,
रोना ही पड़ा है जब कोशिश की मुस्कुराने की,
कौन बनेगा यहाँ मेरी दर्द-भरी रातों का हमराज,
दर्द ही मिला जो तुमने कोशिश की आजमाने की।
आशियाँ बस गया जिनका, उन्हें आबाद रहने दो,
पड़े जो दर्द भरे छाले, जिगर में यूँ ही रहने दो,
कुरेदो ना मेरे दिल को, ये अर्जी है जहां वालों,
छिपा है राज अब तक जो, राज को राज रहने दो।
जीत ले जो दिल वो नजर हम भी रखते हैं,
भीड़ में भी नजर आये वो असर हम भी रखते हैं,
यूँ तो हमने किसी को मुस्कुराने को कसम दी है,
वरना इन बदनसीब आँखों में समंदर हम भी रखते हैं।
बहारों के फूल एक दिन मुरझा जायेंगे,
भूले से कहीं याद तुम्हें हम आ जायेंगे,
अहसास होगा तुमको हमारी मोहब्बत का,
जब कहीं हम तुमसे बहुत दूर चले जायेंगे।
Monday, July 22, 2019
लोग तो अपना बना कर छोड़ देते हैं
मिले न फूल तो काँटों से जख्म खाना है,
उसी गली में मुझे बार-बार जाना है,
मैं अपने खून का इल्जाम दूँ तो किसको दूँ,
लिहाज ये है कि क़ातिल से दोस्ताना है।
लोग तो अपना बना कर छोड़ देते हैं,
कितनी आसानी से गैरों से रिश्ता जोड़ लेते हैं,
हम एक फूल तक ना तोड़ सके कभी,
कुछ लोग बेरहमी से दिल तोड़ देते हैं।
धीरे धीरे से अब तेरे प्यार का दर्द कम हुआ,
ना तेरे आने के खुशी ना तेरे जाने का गम हुआ,
जब लोग मुझसे पूछते हैं हमारे प्यार की दास्तान,
कह देता हूँ एक फसाना था जो अब खत्म हुआ।
जब किसी का दर्द हद से गुजर जाता है
तो समंदर का पानी आँखों में उतर आता है,
कोई बना लेता है रेत से आशियाना तो,
किसी का लहरों में सबकुछ बिखर जाता है।
Thursday, July 11, 2019
कोई हँसे तो तुझे ग़म लगे खुशी न लगे
हम रूठे हुए दिलों को मनाने में रह गए,
गैरों को दिल का दर्द सुनाने में रह गए,
मंज़िल हमारी हमारे करीब से गुज़र गई,
हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।
वो खून बनके मेरी रगों में मचलता है,
करूँ जो आह तो लब से धुँआ निकलता है,
मोहब्बत का रिश्ता भी अजीब है यारों,
ये ऐसा घर है जो बरसात में भी जलता है।
कोई इस दर्द-ए-दिल की दवा ला दो मुझे,
किसी पे ऐतबार न करूँ वो हुनर सिखा दो मुझे,
वैसे मैं हर एक खेल का शौक रखता हूँ,
दिलों से खेलना भी कोई सिखा दो मुझे।
कोई हँसे तो तुझे ग़म लगे खुशी न लगे,
ये दिल की लगी थी दिल को दिल्लगी न लगे,
तू रोज उठ कर रोया करे चाँदनी रातों में,
खुदा करे कि तेरा भी मेरे बिना दिल न लगे।
Wednesday, June 12, 2019
तुम आजकल बिन बोले मुझसे इस तरह बात करती हो
जिस तरह बे मौसम बारिश सूखे पत्तों पे आवाज़ करती है,
तुम आजकल बिन बोले मुझसे इस तरह बात करती हो,
तुम आजकल बिन बोले मुझसे इस तरह बात करती हो,
ना पता है तुमको मेरी परेशानी का ना ही मेरे दिल की हालत का,
मैं ऐसा क्यों हो रहा हूँ यह सवाल भी नहीं करती हो,
तुम्हें फ़िक्र रह गयी है अपनी और शायद सिर्फ़ अपनी,
क्यों नहीं इस रिश्ते से निकल कर पहली सी मुलाक़ात करती हो,
बहुत दिन हो गये मुझको दोपहर की नींद से जगाए,
क्यों नहीं मेरे कानो में आकर कोई शरारत वाली बात करती हो,
एक वक़्त था जब हम तुम थे सुख दुख के साथी,
क्यों नहीं तुम मुझको समझा कर एक नयी शुरुआत करती हो,
सूखे पत्तों की खरखराहट सी तुम मुझसे बात करती हो,
मैं बहुत उदास हो जाता हूँ जब तुम मुझसे इस तरह बात करती हो.
अगर तुम जोड़ सको तो यह गुलदान ले जाना
मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना,
तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना।
तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई,
तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना।
शिकस्ता के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर चुन लो,
अगर तुम जोड़ सको तो यह गुलदान ले जाना।
तुम्हें ऐसे तो खाली हाथ रुखसत कर नहीं सकते,
पुरानी दोस्ती है, कि कुछ पहचान ले जाना।
इरादा कर लिया है तुमने गर सचमुच बिछड़ने का,
तो फिर अपने यह सारे वादा-ओ-पैमान ले जाना।
अगर थोड़ी बहुत है, शायरी से उनको दिलचस्पी,
तो उनके सामने मेरा यह दीवान ले जाना।
जो बने कभी हमदर्द हमारे वो दर्द हमको देने लगे
जिसको दिल में बसाया हमने वो दूर हमसे रहने लगे,
जिनको अपना माना हमने वो पराया हमको कहने लगे।
जो बने कभी हमदर्द हमारे वो दर्द हमको देने लगे,
जब लगी आग मेरे घर में तो पत्ते भी हवा देने लगे।
जिनसे की वफ़ा हमने वो बेवफा हमको कहने लगे,
जिनको दिया मरहम हमने वो जखम हमको देने लगे।
बचकर निकलता था काँटों से मगर फूल भी जखम देने लगे,
जब लगी आग मेरे घर में तो पत्ते भी हवा देने लगे।
बनायीं जिनकी तस्वीर हमने अब चेहरा वो बदलने लगे,
जो रहते थे दिल में मेरे अब महलों में जाकर रहने लगे।
तेरा मुड़-मुड़ कर आना और जाना याद आया है
तेरी चाहत का वो मौसम सुहाना याद आया है,
तेरा मुस्कुरा करके वो नजरें झुकाना याद आया है,
जो सावन की काली घटा सी छाई रहती थी,
उन जूलफों का चेहरे से हटना याद आया है,
तुझे छेड़ने की खातिर जो अक्सर गुनगुनाता था,
वो नगमा आशिकाना आज फिर याद आया है,
मेरी साँसें उलझती थी तेरे कदमों की तेजी में,
तेरा मुड़-मुड़ कर आना और जाना याद आया है,
तेरा लड़ना झगड़ना और मुझसे रूठ कर जाना,
वो तेरा रूठ कर खुद मान जाना याद आया है,
ना रस्ते हैं ना मंजिल है मिजाज भी है आवारा,
तेरे दिल में मेरे दिल का ठिकाना याद आया है,
जिसके हर लफज में लिपटी हुई थी मेरी कई रातें,
आज तेरा वो आखिरी खत हथेली पर जलाया है।
आज भी मुझे वो गुजरा जमाना याद आता है
वो हर रोज गुजरकर तेरी गली से जाना याद आता है,
खुदा ना खास्ता वो तेरा मिल जाना याद आता है।
तब तुमसे मिला करते थे छुप छुप के हम,
खुदा ना खास्ता वो तेरा मिल जाना याद आता है।
यूँ ही गुजर गया वो जमाना तुम्हारे इन्तजार का,
आज भी मुझे वो गुजरा जमाना याद आता है।
सुना है कि आज भी हमारी बातें करते है लोग,
आज भी सबको वो अपना अफसाना याद आता है।
तुम भी मुस्कुराती हो बेवजह अक्सर आईने में,
सुना है तुमको भी अपना ये दीवाना याद आता है।
तब तुमसे मिला करते थे छुप छुप के हम,
हर आहट से तेरा वो घबराना याद आता है।
मैं शुक्रगुजार हूँ उन सर्द हवाओं का आज भी,
वो ठंड में हम दोनों का लिपट जाना याद आता है।
आज भी जब मैं मुस्कुराता हूँ कभी आईने में,
मुझे देखकर तेरा वो मुस्कुराना याद आता है।
बस यादें ही रह गयी और कुछ न बचा यहाँ,
कभी तेरा हँसाना कभी सताना याद आता है।
Monday, May 27, 2019
नए चेहरों में अब पहली सी कशिश कहाँ है बाकी
फरिश्ते भी अब कहाँ जख्मों का इलाज करते हैं,
बस तसल्ली देते है कि अब करते है, आज करते है।
उनसे बिछड़कर हमको तो मिल गयी सल्तनत-ए-गजल,
चलो नाम उनके हम भी जमाने के तख्तों-ताज करते है।
नए चेहरों में अब पहली सी कशिश कहाँ है बाकी,
अब तो बस पुरानी तस्वीर देखकर ही रियाज करते है।
और एक दिन दिल ए "मीर" ने आकर ख्वाब में हमसे ये कहा,
शायरी करो "रोशन" यहाँ बस शायरों का लिहाज करते है।
Wednesday, May 15, 2019
इश्क़ की रस्म को इस तरह से निभाया हमने
जुस्तजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने,
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने।
कब मिली थी कहाँ बिछड़ी थी हमें याद नहीं,
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने।
तुझको रुसवा न किया खुद भी पशेमाँ न हुये,
इश्क़ की रस्म को इस तरह से निभाया हमने।
कब मिली थी कहाँ बिछड़ी थी हमें याद नहीं,
ज़िन्दगी तुझ को तो बस ख्वाब में देखा हमने।
ऐ अदा और सुनाये भी तो क्या हाल अपना,
उम्र का लम्बा सफ़र तय किया तन्हा हमने।
Saturday, May 11, 2019
दुनिया यूँ ही नहीं लगी है उसे पाने की साज़िश में
बेहद ही लुत्फ़ होगा उस की ज़ुल्फ़ की बंदिश में
दुनिया यूँ ही नहीं लगी है उसे पाने की साज़िश में
बज़्म से छुपते-छुपाते आँखें देखती तो हैं उसे मगर
फसाद के फसाद हो जाएंगे इस ज़रा सी लग़्ज़िश में
उसके बदन की खुशबू में कोई तो तिलिस्म होगा ही
जो भीगना चाहता है ज़माना खुशबुओं की बारिश में
तेरे इश्क़ की कचहरियों में जो दिल हार जाते होंगे
फिर गुज़रती होगी उन की सारी उम्र ही गर्दिश में
"आकाश" यूँ ही नहीं पढ़ा करती मेरी ग़ज़लों को वो
कुछ तो बात होगी ही आखिर मेरी ही निगारिश में
Thursday, April 11, 2019
मगर मेरी इन्हीं आँखों से सावन हार जाता है
ज़ीना मुहाल कर रखा है मेरी इन आँखों ने,
खुली हो तो तलाश तेरी बंद हो तो ख्वाब तेरे।
तुमने कहा था, आँख भर के देख लिया करो मुझे,
अब आँख भर आती है पर तुम नज़र नहीं आते।
मुझे मालूम है तुमने बहुत बरसातें देखी है,
मगर मेरी इन्हीं आँखों से सावन हार जाता है।
मैं उम्र भर जिनका न कोई दे सका जवाब,
वह इक नजर में, इतने सवालात कर गये।
Thursday, April 4, 2019
मैं ही वो शबनम थी जिसने चमन को सींचा
रंग बिखरे थे कितने मोहब्बत के थे वो,
इक वो ही था जो कितना बेरंग निकला।
मैं ही वो शबनम थी जिसने चमन को सींचा,
मुझे ही छोड़ कर वो बारिश में भीगने निकला।
मेरा वजूद है तो रोशन है तेरे घर के दिये,
मैंने देखा था तू कितना बेरहम निकला।
न जाने कहाँ हर्फे वफ़ा गम होके रह गई,
सरे राह मेरी मोहब्बत का जनाज़ा निकला।
दिल है खामोश उदासी फिजा में छाई है,
मुद्दतें बीती बहारों का काफिला निकला।
टूटे हुए ख्वाब और सिसकती सदाओं ने कहा,
करने बर्बाद मुझे मेरे घर का रहनुमा निकला।
ये आँसू हैं इन्हें फूलों में शबनम की तरह रखना
उदासी का ये पत्थर आँसुओं से नम नहीं होता,
हजारों जुगनुओं से भी अँधेरा कम नहीं होता।
बिछड़ते वक़्त कोई बदगुमानी दिल में आ जाती,
उसे भी ग़म नहीं होता मुझे भी ग़म नहीं होता।
ये आँसू हैं इन्हें फूलों में शबनम की तरह रखना,
ग़ज़ल एहसास है एहसास का मातम नहीं होता।
बहुत से लोग दिल को इस तरह महफूज़ रखते हैं,
कोई बारिश हो ये कागज़ जरा भी नम नहीं होता।
कभी बरसात में शादाब बेलें सूख जाती है,
हरे पेड़ों के गिरने का कोई मौसम नहीं होता।
हजारों जुगनुओं से भी अँधेरा कम नहीं होता।
बिछड़ते वक़्त कोई बदगुमानी दिल में आ जाती,
उसे भी ग़म नहीं होता मुझे भी ग़म नहीं होता।
ये आँसू हैं इन्हें फूलों में शबनम की तरह रखना,
ग़ज़ल एहसास है एहसास का मातम नहीं होता।
बहुत से लोग दिल को इस तरह महफूज़ रखते हैं,
कोई बारिश हो ये कागज़ जरा भी नम नहीं होता।
कभी बरसात में शादाब बेलें सूख जाती है,
हरे पेड़ों के गिरने का कोई मौसम नहीं होता।
Thursday, March 28, 2019
उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर
निगाहों से कत्ल कर दे न हो तकलीफ दोनों को,
तुझे खंजर उठाने की मुझे गर्दन झुकाने की।
एक सी शोखी खुदा ने दी है हुस्नो-इश्क को,
फर्क बस इतना है वो आंखों में है ये दिल में है।
उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर,
दो पियालों में भरी है कैसे लाखों मन शराब।
आँसुओं से जिनकी आँखे नम नही,
क्या समझते हो कि उन्हें कोई गम नही।
आँखे ही बना देती हैं फ़साना किसी का,
आँखे ही बना देती हैं दीवाना किसी का,
आँखे ही हँसाती हैं, आँखे ही रूलाती हैं,
आँखे ही बसा देती हैं घराना किसी का।
तुझे खंजर उठाने की मुझे गर्दन झुकाने की।
एक सी शोखी खुदा ने दी है हुस्नो-इश्क को,
फर्क बस इतना है वो आंखों में है ये दिल में है।
उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर,
दो पियालों में भरी है कैसे लाखों मन शराब।
आँसुओं से जिनकी आँखे नम नही,
क्या समझते हो कि उन्हें कोई गम नही।
आँखे ही बना देती हैं फ़साना किसी का,
आँखे ही बना देती हैं दीवाना किसी का,
आँखे ही हँसाती हैं, आँखे ही रूलाती हैं,
आँखे ही बसा देती हैं घराना किसी का।
Saturday, March 16, 2019
तुम्हारी पलकों को मेरा इंतज़ार तो होने दो
ठीक से अभी आँखों को चार तो होने दो,
मेरे इश्क़ का जुनून खुद पे सवार तो होने दो,
दिल की गहराइयों में अब तलक तू कहाँ झाँकी है,
मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है।
तुम्हारी पलकों को मेरा इंतज़ार तो होने दो,
भीतर से हाँ बाहर से इंकार तो होने दो,
मेरी तन्हाइयों ने बस तेरी ही राह ताकी है,
मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है।
Wednesday, March 6, 2019
ज़िन्दगी में इतने ग़म थे जिनका अंदाज़ा न था
कौन सा वो ज़ख्मे-दिल था जो तर-ओ-ताज़ा न था,
ज़िन्दगी में इतने ग़म थे जिनका अंदाज़ा न था,
'अर्श' उनकी झील सी आँखों का उसमें क्या क़ुसूर,
डूबने वालों को ही गहराई का अंदाज़ा न था।
उसे पाया नहीं लेकिन उसको खोना भी नहीं है,
उसके बगैर आंसू लेकर रोना भी नहीं है,
प्यार का रुख नफ़रत में कुछ इस कदर बदला,
अब सोचते है कि उसका कभी होना भी नहीं है।
Thursday, February 21, 2019
Thursday, February 7, 2019
मुझसे दूर कर देगा वो बहला कर तुझको
मैंने गलती तो नहीं की बता कर तुझको,
मेरे दिल के हालात दिखा कर तुझको।
मैं भूखा ही रहा कल रात पर खुश था,
अपने हिस्से का खाना खिला कर तुझको।
दुनिया की बातों पे ग़ौर ना करना कभी,
मुझसे दूर कर देगा वो बहला कर तुझको।
मेरा दिल टूटेगा तो संभल जाऊँगा मैं,
उसका टूटा तो जायेगा सुना कर तुझको।
कोई है जो तुम्हें याद करता है बहुत,
रातभर जागता है वो सुला कर तुझको।
सोचो तो ज़रा कितनी सच्चाई है उसमें,
गया भी वो तो सच सिखा कर तुझको।
मेरे दिल के हालात दिखा कर तुझको।
मैं भूखा ही रहा कल रात पर खुश था,
अपने हिस्से का खाना खिला कर तुझको।
दुनिया की बातों पे ग़ौर ना करना कभी,
मुझसे दूर कर देगा वो बहला कर तुझको।
मेरा दिल टूटेगा तो संभल जाऊँगा मैं,
उसका टूटा तो जायेगा सुना कर तुझको।
कोई है जो तुम्हें याद करता है बहुत,
रातभर जागता है वो सुला कर तुझको।
सोचो तो ज़रा कितनी सच्चाई है उसमें,
गया भी वो तो सच सिखा कर तुझको।
Tuesday, February 5, 2019
हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत नहीं मिली
अजब मौसम है, मेरे हर कदम पे फूल रखता है,
मोहब्बत में मोहब्बत का फरिश्ता साथ चलता है,
मैं जब सो जाऊँ, इन आँखों पे अपने होंठ रख देना,
यकीं आ जायेगा, पलकों तले भी दिल धड़कता है।
सब कुछ मिला सुकून की दौलत नहीं मिली,
एक तुझको भूल जाने की मौहलत नहीं मिली,
करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर,
हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत नहीं मिली।
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